मिट्टी को हेल्दी बनाने वरदान साबित हो रहे जवाहर जैव उर्वरक
जबलपुर। जैविक खेती की ओर बढ़ रहे किसानों के लिए मृदा का हेल्दी होना चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। ऐसे में जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किये गये जवाहर जैव उर्वरक वरदान की तरह साबित हो रहे हैं। विवि के मृदा विज्ञान विभाग के अंतर्गत जवाहर जैव उर्वरक केंद्र में 16 बायोफर्टीलाइजर तैयार कर लिए गए हैं। अच्छी बात यह है कि इन बायोफर्टीलाइजर के सकारात्मक परिणाम सामने आना भी शुरू हो गये हैं।
टिकाऊ कृषि उत्पादन के लिए जरूरी हैं जैव उर्वरक
डायरेक्टर रिसर्च डॉ. जीके कौतू का कहना है जैव उर्वरकों से टिकाऊ कृषि उत्पादन में मृदा संरचना, स्वास्थ्य व जैविक गुणवत्ता, प्राकृतिक संसाधनों को बचाने, प्रदूषण रोकने, लागत कम करने में जरुरी है। सूक्ष्मजीवों द्वारा मृदा के स्फुर जैविक प्रक्रियाओं से मृदा में घोलकर पौधों को उपलब्ध कराते है। सूक्ष्मजीवों के माध्यम से विभिन्न पोषक तत्व (नत्रजन, स्फुर, पोटाश एवं सूक्ष्म पोषक तत्व) को उपलब्ध कराते है।
अलग-अलग अनुशांसित है जैव उर्वरकों का प्रयोग
मृदा विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शेखर सिंह बघेन ने बताया फसलोत्पादन में न्यूनतम लागत में संतोषजनक वृद्धिप्राप्त के लिए जैव उर्वरक का प्रयोग अलग- अलग अनुशंसित है। जैव उर्वरक मुख्यत: दो प्रकार के होते है। इनमें पहला नत्रजन (नाइट्रोजन) स्थिरीकरण करने वाले जैव उर्वरक। दूसरा स्फुर घोलीय व गतिशीलता प्रदान करने वाले जैव उर्वरक। वर्तमान समय में उपरोक्त के अतिरिक्त कुछ जैव उर्वरकों जैसें कार्बनिक पदार्थ को सड़ाने वाले, पोटेशियम, जस्ता इत्यादि की गतिशीलता व घुलनशीलता बढ़ाने वाले जैव उर्वरकों का भी प्रयोग प्रारंभ हो चुका है।
अनुसंधान जारी रहेगा
कृषि वैज्ञानिक लगातार कृषि के क्षेत्र में अनुंसधान कर रहे हैं। मृदा की उर्वरा बढ़ाने के लिए तैयार किए गए जवाहर जैव उर्वरक के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इनकी कीमत भी कम है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं करते। खाद्यान्न उत्पादन में केमिकल नहीं आ पाता है। छोटे किसान जो कि कम लागत में खेती करते है तो इनके प्रयोग से मृदा की सेहत भी बेहतर होती है। साथ ही भूमि भी संरक्षित होती है। विवि में आगे भी इस दिशा में अनुसंधान कार्य जारी रहेगा। -प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा, कुलपति,जेएनके विवि, जबलपुर
मृदा विज्ञान विभाग के जवाहर जैव उर्वरक केंद्र द्वारा लगातार अनुसंधान के परिणाम स्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं उसकी ताकत को बनाए रखने के लिए सूक्ष्मजीवो की अति उल्लेखनीय भूमिका होती है अत: उनके कार्य कर लाभ प्राप्त करने हेतु विश्वविद्यालय का मृदा विज्ञान विभाग सतत अनुसंधानकार्य कर रहा है। -प्रो. डॉ. पीएस कुल्हारे, विभागाध्यक्ष, मृदा विज्ञान विभाग, जेएनके विवि