सुगंध दशमी पर्व पर महक उठे शहरभर के जैन मंदिर
इंदौर। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद, इंदौर के अध्यक्ष राजकुमार पाटोदी एवं प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि रविवार, 24 सितंबर को दिगंबर जैन समाज ने बहुत ही हर्षोल्लास से सुगंध दशमी पर्व मनाया। शहरभर के दिगंबर जैन मंदिर धूप की सुगंध से महके। सभी समाजजन इस दिन सुबह से ही इंदौर शहर के जैन मंदिरों में धूप खेने (चढ़ाने) के लिए निकल पड़े, कई वर्षों बाद आज इतनी भीड़ मंदिरों में नजर आई। इस अवसर पर जैन मंदिरों में आकर्षक मंडल मांडने का कार्य किया गया था एवं शानदार झांकियां भी बनाई गई थीं, निर्णायक मंडल करीब 21 मंदिरों में जाएगा, जिनमें छावनी, जवरी बाग नसिया, कंचनबाग, लश्करी मंदिर गोराकुंड, शक्कर बाजार मंदिर, कालानी नगर त्रिमूर्ति मंदिर, सुदामा नगर जैन मंदिर, चंद्रप्रभु जिनालय मल्हारगंज, क्लर्क कॉलोनी, अंबिकापुरी , संगम नगर, जैन मंदिर, परदेशीपुरा जैन मंदिर, महालक्ष्मी नगर के दोनों मंदिर, तुलसी नगर जैन मंदिर प्रमुख हैं। निर्णय आने के बाद क्षमावाणी पर्व पर विजेताओं को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार दिए जाएंगे।
हमारा यह पर्व क्षमा से शुरू होता है- मोदीजी की नसिया इंदौर, में आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि पर्व का आज छठा दिन है, उत्तम संयम धर्म।
आत्मा का उत्तम क्षमा- मार्दव- आर्जव - शौचसत् य के समान एक लक्षण उत्तम संयम धर्म भी है। संयम का शाब्दिक अर्थ है नियंत्रण, एकाग्रता। आचार्यश्री ने कहा कि संयम के लिए नींव क्षमा है। हर धर्म क्षमा के ऊपर टिका हुआ है। हमारा यह पर्व क्षमा से शुरू होता है और क्षमा पर ही खत्म होता है। आप कहते हैं कि धर्म के लिए जैन समाज के सारे संत एक हो जाएं तो समाज में एकता का बिगुल बज जाएगा।
पहले आप एक आदर्श माता-पिता बनो
उन्होंने कहा कि आज जैन समाज का वजूद कम होता चला जा रहा है। जैन तीर्थों पर कब्जे हो रहे हैं। यह काल का प्रभाव नहीं, हमारा दुर्व्यवहार है। समस्या अपने लोगों से है। आपने कहा कि संयम दो होते हैं-एक इंद्रिय संयम, हमें इन पांच इंद्रियों पर संयम रखना होगा। आपके घर में पल रहे पशुओं को तो आप समय से खाना देते हो किंतु अपने बेटे के खाने का कोई समय नहीं है। पहले आप एक आदर्श माता-पिता बनो, तब आपके बच्चे संयम में रहेंगे।
ज्यादातर समय मौन रहो
वाणी से शब्द निकलते हैं। बड़ी- बड़ी लड़ाइयां शब्दों के कारण हो गर्इं इसलिए ज्यादातर समय मौन रहो। परमात्मा को चाहिए प्रेम से भरी हुई आंखें, श्रद्धा से झुका हुआ सिर, सहयोग करने वाले हाथ, धर्म के मार्ग पर चलने वाले पांव और सत्य से जुड़ी हुई जिव्हा। आज इन सब खूबियों को लेकर चरित्र की नाव में बैठकर यात्रा करने का दिन है। आज प्रात: अभिषेक, शांति धारा और पूजा मुनि विजयेश सागर, मुनि विश्व हर्ष सागर महाराज व बाल ब्र. प्रियंका दीदी, नीतू दीदी और रीना दीदी ने करवाई। सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य विकास जैन (पांड्या परिवार ) को प्राप्त हुआ।