यात्री सुविधाओं के नाम पर लगातार झूठ परोस रहा जबलपुर रेल मंडल

यात्री सुविधाओं के नाम पर लगातार झूठ परोस रहा जबलपुर रेल मंडल

जबलपुर। बेहतर यात्री सुविधा, एयरपोर्ट जैसी व्यवस्था देने का दावा करने वाले जबलपुर रेल मंडल का ध्यान इन दिनों सिर्फ वाहवाही लूटने में है। समीक्षा और निरीक्षण के नाम पर फोटो खिंचवाने के बाद अधिकारी एक बार जो एसी कमरों में जाते हैं तो फिर स्टेशनों के हाल देखने की फुर्सत किसी को नहीं। प्राथमिक सुविधाओं को देने भी रेलवे इन दिनों पिछड़ता चला जा रहा है,जिम्मेदारों को समय रहते यात्री सुविधाओं पर ध्यान देने की जरुरत है।

वाहवाही लूटने करते हैं निरीक्षण, जनता परेशान

पानी माफिया के सामने टेके घुटने

यात्री को सुविधाओं के नाम पर कुछ मिले या न मिले पर पीने का साफ पानी देना सबसे पहला काम होता है। लेकिन जबलपुर रेलवे स्टेशन में पानी माफिया के सामने रेलवे अधिकारी घुटने टेके हुए हैं। कम दाम में ठंडा पानी देने वाली मशीनों में ताले लटके हैं या बदहाली में धूल खा रही हैं। ट्रेन स्टेशन पर आते ही अपनों की प्यास बुझाने वाले यात्रियों को जेब ढीली करने के सिवाए कोई रास्ता नहीं बचता।

जनता खाना लापता

यात्रियों को कम दरों पर देने वाला जनता खाना स्टॉलों से इस तरह गायब है जैसे ऐसी कोई योजना है ही नहीं। गरीब, मजदूर ठंडे समोसे या मनचाहे दाम पर मिलने वाली अन्य खाद्य सामग्री लेने मजबूर है। अवैध वेंडरों से बंधे महिने की कमाई में कोई दिक्कत न हो इसलिए खानापूर्ति के लिए कुछ कार्रवाई का नाटक भी सालों से चला आ रहा है।

आउटर पर रुकना तय

मुख्य रेलवे स्टेशन के दोनों छोरों पर ऑउटर में ट्रेनों को रोकने की भी जैसे प्रथा से बन गई है। अपडाउन करने वालों को तो जबलपुर स्टेशन के पहले ट्रेन की गति से ही अंदाजा लग जाता है कि ऑउटर पर समय बर्बाद होने वाला है। पास की कालोनियों मे रहने वाले कुछ लोगों द्वारा आउटर पर खड़ी ट्रेनों में पानी चिप्स और खाद्य सामग्री बेचने का व्यापार भी किया जा रहा है।

यूनियन को हर बार थमा दिया जाता है झुनझुना

यात्री सुविधाओं में तो अधिकारियों का ध्यान है नहीं पर ऐसा लग रहा है इन दिनों रेलवे यूनियन के द्वारा उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर भी कोई कुछ करने तैयार नहीं। हालात ऐसे हैं कि सालों से परेशान रेल कर्मचारियों के काम के दबाव को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है। यूनियन के पदाधिकारियों को हर बार आवाज उठाने पर आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता है ताकि कुछ समय के लिए बातों को दबाया जा सके।

घटिया निर्माण कार्य भी अछूता नहीं

मदन महल स्टेशन में लाखों की लागत से बने शेड पहली बारिश में चूने लगे हैं। इसके अलावा निर्माण कार्यों की गति ठेकेदारों की मिलीभगत से धीमी चल रही है। ट्रेन डिस्पले की परेशानी भी यहां यात्रियों के लिए बड़ी समस्या है। सबसे ज्यादा बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं और बुजूर्गों को दिक्कत होती है जिसकी ओर देखने किसी को फुर्सत ही नहीं है।