24 वर्ष पहले बंद हुई जेसी मिल का हर चुनाव में उठता है मुद्दा
ग्वालियर। जयाजीराव कॉटन मिल (जेसी मिल) कभी ग्वालियर की शान हुआ करती थी लेकिन कुछ ऐसा ग्रहण लगा कि वह धीरे-धीरे बंद होती चली गई। वर्ष 1999 में पूरी तरह से कॉटन मिल के गेट पर ताला डाल दिया और कर्मचारी बाहर हो गए। दो हजार कर्मचारी और उनके परिजन ऐसे हैं जो आज भी इस भरोसे के साथ जेसी मिल की लाइनों में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं। चुनाव में सालदर- साल यह मुद्दा बनता रहा है।
2018 में इसे प्रद्युम्नसिंह तोमर ने हवा दी और भाजपा में आने के बाद वे चुप हो गए। अब वे समय का इंतजार कर रहे हैं। 2023 के चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस ने फिर नए सिरे से मुद्दा बनाकर इसे हवा देना शुरू कर दिया है। मिल पर ताला पड़ने के बाद अभी तक जेसी मिल की लाइनों में दो हजार से ज्यादा मजदूर रहते हैं। लाइन नंबर 1, 2, 3, 4 में यही मजदूर और उनके परिजन निवास करते हैं।
कोर्ट ने परिसमापक नियुक्त किया था
जेसी मिल मजदूरों के बकाया राशि का कोर्ट परिसमापक ने दस्तावेजों को देखने के बाद करीब सात सौ मजदूरों के लिए भुगतान की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। हालांकि निर्देशों का पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने जेसी मिल की व्यवस्था के लिए जेसी मिल की 700 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत करने के लिए कहा था। ताकि उक्त जमीन बेचकर मजदूरों के पैसों का भुगतान किया जा सके।
कांग्रेस ने हजीरा चौराहे पर धरना
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा ने अपने समर्थक के साथ जेसी मिल मजदूरों की समस्या को लेकर हजीरा चौराहा पर सोमवार की शाम चार बजे धरना दिया। सुनील का कहना है कि जेसी मिल मजदूरों की समस्याएं कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाएगा। इन मजदूरों के साथ जो भी घटित हुआ है, उसके लिए सरकार के मुलाजिमों को माफी मांगना पड़ेगी। धरना स्थल पर जेसी मिल बंद होने के बाद बुजुर्ग हुए मजदूरों की आंखों में जेसी मिल की पूरी कहानी बंद है।
क्या कहना है जिम्मेदारों का
जेसी मिल की समस्या पर स्थानीय विधायक और सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को ज्यादा पता होगा, मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं बोलूंगा । -जयभान सिंह पवैया,पूर्व मंत्री
कांग्रेस के धरने के बाद मैं अपनी बात रखूंगा। अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। -प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जामंत्री