पेंडिंग 7 हजार सैंपलों की जांच पूरी, लेकिन एनॉलिस्ट की कमी से 3 हजार रिपोर्ट अटकीं
भोपाल। हाईकोर्ट ग्वालियर की फटकार के बाद खाद्य सुरक्षा प्रशासन द्वारा खाद्य वस्तुओं में मिलावट से संबंधित प्रकरणों के सैंपल्स की जांच में तेजी आई है। 30 नवंबर तक पेंडिंग सभी 7,000 सैंपल्स की जांच पूरी कर ली गई, लेकिन एनालिस्टों की कमी के कारण 3,000 रिपोर्ट पर अब तक हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं। इस कारण ये रिपोर्ट फाइनल नहीं हो सकी है। यह तब है जबकि सख्त नियम है कि सैंपलों की जांच पूरी होने के अगले दिन रिपोर्ट संबंधित को भेजी जाए। हालांकि विभाग का दावा है कि रिपोर्ट ऑनलाइन जारी की जा रही हैं। भोपाल स्थित खाद्य सुरक्षा प्रशासन की राज्य स्तरीय लैब में प्रदेशभर से हर माह 1,000 से अधिक सैंपल जांच के लिए आते हैं। 14 दिन में रिपोर्ट देने का नियम है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेशभर से सैंपल आने के कारण जांच में 3 से 6 माह लग रहे थे। इससे पेडेंसी बीते अक्टूबर माह तक बढ़कर 7,000 तक पहुंच गई थी।
पिछले साल 14 हजार सैंपल जांच के लिए यहां भेजे गए थे। जांच में देरी पर हाईकोर्ट का दबाव बढ़ा, तो विभाग ने केंद्र सरकार से निजी लैब से जांच कराने की अनुमति मांगी। केंद्र ने 4 प्राइवेट लैब क्यूटीटीएल और चौकसी इंदौर, कैली लैब भोपाल और एक्सीलेंस जबलपुर से जांच की अनुमति दी। इसके लिए 12 करोड़ रुपए भी मंजूर किए। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, 30 नवंबर तक चारों निजी लैब से 3,500 और इतनी ही जांच विभागीय लैब से निपटाई गई हैं। एनॉलिस्टों की कमी से फाइनल नहीं हो सकी रिपोर्ट : इधर, सूत्रों का दावा है कि 7,000 सैंपल्स की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें से तीन हजार रिपोर्ट एनॉलिस्ट के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण फाइनल नहीं हो सकीं। इनमें से कई रिपोर्ट तो पांच साल से अटकी हुई हैं। इसकी वजह एनॉलिस्टों की कमी है। राज्य स्तरीय लैब में एनॉलिस्ट के 8 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 2 ही काम कर रहे हैं।
ग्वालियर खंडपीठ जांच की कर रही निगरानी
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ मिलावटी वस्तुओं की जांच और नवनिर्मित तीनों फूड लैब के मामले की सतत निगरानी कर रही है। कोर्ट ने इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की तीनों लैब को शुरू करने के लिए 28 फरवरी 2023 की डेडलाइन तय की थी। काम पूरा नहीं हुआ, तो डेडलाइन बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने तर्क रखा कि चुनावी कार्य और आचार संहिता के चलते इसमें देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने फटकार लगाई, जिसके बाद मिलावटी वस्तुओं की जांच और लैब के निर्माण में तेजी आई।
इंदौर लैब इस माह शुरू हो जाएगी, जबकि ग्वालियर और जबलपुर लैब का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। तीनों लैब में काम शुरू होने के बाद भोपाल लैब पर दबाव कम हो जाएगा। निजी लैब से जांच कराने के बाद दिवाली के पहले तक सभी 7000 पेंडिंग मामले खत्म हो चुके हैं। आज की तारीख में जीरो पेंडिंसी है। रिपोर्ट भी ऑनलाइन भेजी जा रही है। - देवेंद्र कुमार वर्मा,सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर (मुख्यालय), खाद्य सुरक्षा प्रशासन, भोपाल