सरकारी जमीनों को मुक्त कराने के लिए एसडीएम-तहसीलदार को सर्वे के निर्देश
ग्वालियर। भले ही प्रदेश सरकार द्वारा 2020 से पहले की सरकारी जमीनों पर काबिज लोगों को धारणाधिकार के माध्यम से पट्टे दे रही हों, लेकिन इसी बीच जिला कलेक्टर कार्यालय से शासकीय जमीनों पर अतिक्रमणकर्ताओं के खिलाफ मुहिम चलाने की तैयारी है। जिसके चलते एसडीएम- तहसीलदार व अन्य को 15 दिन में जमीनी रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि अवैध कॉलोनियों को वैध करने वाली पहली मुहिम में ग्रीन बेल्टसरकारी जमीन पर चिन्हित 267 कॉलोनियों पर बीते 6 साल में कार्रवाई नहीं हो सकी है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2017 में प्रदेश भर में वर्ष 2016 से पहले अस्तित्व में आई अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की गई थी, जिसके चलते नगर निगम व जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा ग्वालियर में बनी 696 अवैध कॉलोनियों की सूची तैयार की गई थी, जिसमें से 429 कॉलोनियां वैध होने के नियमों में सही पाई गई। इसके बाद बाकी बची 267 कॉलोनियों को सरकारी जमीन व ग्रीन बेल्ट पर होने के चलते वैध करने की परिधि से बाहर कर दिया गया और उसके बाद 15 महीने वाली कांग्रेस की सरकार में चला एंटी माफिया अभियान हो या भाजपा सरकार में सरकारी जमीनों को मुक्त कराने का अभियान। किसी में भी सरकारी जमीन व ग्रीन बेल्ट पर चिन्हित कॉलोनियों पर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पाया।
हजारों आवेदन निरस्त कर जुटाई है जानकारी
शासन द्वारा सरकारी जमीनों पर वर्ष 2020 से पहले से काबिज लोगों को धारणाधिकार के चलते पट्टा देने वाली मुहिम जारी है। जिसको लेकर जानकारों का कहना है कि सरकारी जमीनों पर काबिज लगभग 25 हजार से ज्यादा लोगों ने खुद ऑनलाइन आवेदन जिला कलेक्टर कार्यालय में दिए हैं और उसमें से लगभग 18 हजार आवेदनों को निरस्त किया जा चुका है। ऐसे में शासन के पास बिना सर्वे के सरकारी जमीनों के काबिज होने की लंबी फेहरिस्त पहले से मौजूद है।
कलेक्टर को कराना होगा अवगत, तब मिलेगी कार्रवाई की अनुमति
विधानसभा चुनाव 2023 में एक बार फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार हावी है और ऐसे में अपर कलेक्टर द्वारा सभी एसडीएम, तहसीलदार, आर-आई व पटवारियों को 15 दिन में सर्वे कर कलेक्टर को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं और वहां से अनुशंसा होने पर संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव को देखकर सर्वे के बाद कार्रवाई होना मुश्किल होगा।