दिव्यांग अरुणिमा से ली प्रेरणा, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी फतह की
जबलपुर। जबलपुर जिले में मंझौली निवासी अंकित सेन ने 15 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्बु्रस पर तिरंगा फहराने का कारनामा किया। इससे पहले उन्होंने गणतंत्र दिवस पर दक्षिण अफ्रीका के किलीमंजारो पर्वत पर तिरंगा फहराया था। उनका लक्ष्य सातों महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वतों पर तिरंगा फहराना है। आर्थिक विषमताओं के बीच अंकित अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
अंकित ने बचपन में अखबारटी वी में देखा और फिर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दिव्यांग डॉ. अरूणिमा सिन्हा को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराते हुए देखा, तो मन में कुछ ऐसा ही कर गुजरने का ठान लिया। उन्होंने तभी हिमालय माउंटेन इंस्टिट्यूट दार्जिलिंग से बेसिक माउंटेनिंग कोर्स में प्रवेश लिया और 2016 में इसके लिए पात्र हो गए।
25 वर्षीय अंकित के पिता मजदूरी करते हैं और मां गृहिणी है। ऐसे में पर्वतारोहण के बारे में सोचना ही बेमानी लगता है। पहली बार जब वे दार्जिलिंग जा रहे थे, तो इलाहाबाद तक उन्हें छोड़ने उनके माता-पिता साथ गए। भावुक माता-पिता ने इलाहाबाद में उनका बैग छुड़ा लिया था।
रतलाम के दंपति ने माउंट एल्ब्रुस फतह किया
पर्वतारोही दंपति अनुराग चौरसिया और सोनाली परमार ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस फतह की। अनुराग और सोनाली ने 16 अगस्त की सुबह 5:30 बजे माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा फहराया। माउंट एल्ब्रुस पर पहुंचकर दोनों ने राष्ट्रगान गाया और 7 बार सूर्य नमस्कार भी किया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले सोनाली और अनुराग भारत के पहले दंपति बन गए हैं। दंपति पहले दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर भी जा चुके हैं।