चीनी पर महंगाई की मार, त्योहारों के पहले भाव 6 साल के उच्चतम स्तर पर
बीते पखवाड़े में चीनी की कीमतों में 3 प्रतिशत से अधिक का इजाफा
नई दिल्ली। बीते एक पखवाड़े में चीनी की कीमतों में 3 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ कीमतें छह वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गर्इं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में व्यापारियों और उद्योग जगत के अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया है कि देश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी से घबराहट की स्थिति बनी है, जो आगामी सीजन में उत्पादन में गिरावट का संकेत देती है। अगर ऐसा होता है तो त्योहारों के पहले चीनी की कीमतों पर इसका असर दिख सकता है। अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में चीनी उत्पादन 3.3 प्रतिशत घटकर 31.7 मिलियन मीट्रिक टन हो सकता है क्योंकि कम बारिश से दक्षिणी भारत के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की पैदावार प्रभावित हो सकती है, इनका कुल भारतीय उत्पादन में आधे से अधिक का हिस्सा है। इस बीच चीनी की कीमतें मंगलवार को बढ़कर 37,760 रु. प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गईं, जो अक्टूबर 2017 के बाद से उच्चतम स्तर है। भारत में चीनी की कीमतें वैश्विक सफेद चीनी बेंचमार्क की तुलना में लगभग 38 प्रतिशत कम हैं।
चीनी कंपनियों के शेयरों में 8 प्रतिशत की तेजी दर्ज
उत्पादक क्षेत्रों में कमजोर मानसून के मद्देनजर उत्पादन को लेकर चिंताओं के कारण बुधवार को चीनी कंपनियों के शेयरों में 8 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। शुरूआती कारोबार में राणा शुगर के शेयर 5 प्रतिशत तक मजबूत हुए। श्री रेणुका शुगर्स, द उगार शुगर, द्वारिकेश शुगर, ईद पैरी, त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज और बलरामपुर चीनी मिल्स के शेयर शुरूआती कारोबार में 1.4 से 8 प्रतिशत तक इजाफा दिखा
निर्यात पर अंकुश लगा सकती है सरकार
मांग और आपूर्ति से जुड़ी दिक्कतों के बीच सरकार की ओर से चीनी के निर्यात पर अंकुश लगाया जा सकता है। भारत ने मिलों को चालू सीजन के दौरान 30 सितंबर तक केवल 6.1 मिलियन मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी, जबकि उन्हें पिछले सीजन में रिकॉर्ड 11.1 मिलियन मीट्रिक टन चीनी बेचने की अनुमति दी गई थी।