भारत की अंतरिक्ष में बढ़ेगी ताकत, बनेगी अपनी स्पेस फोर्स
वायुसेना ने केंद्र सरकार के पास भेजा प्रस्ताव, जल्द मिलेगी मंजूरी
नई दिल्ली। अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार कामयाबी हासिल करने के बाद भारत अब अपनी स्पेस फोर्स बनाने जा रहा है। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने इस मामले में चीन की बराबरी करने को लेकर रोडमैप भी तैयार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार आईएएफ का नाम जल्द भारतीय वायु और अंतरिक्ष सेना (आईएएसएफ) हो जाएगा। भारतीय वायुसेना ने केंद्र सरकार को प्लान बनाकर भेज दिया है। जल्द ही प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। क्या होती स्पेस फोर्स :अंतरिक्ष सेना को एस्ट्रोनॉट सोल्जर समझा जा सकता है, जिसका मतलब हुआ कि ऐसे सैनिक जो अंतरिक्ष की रक्षा को लेकर ट्रेंड किए जाएंगे। हालांकि ये फोर्स थोड़ी अलग होती है, क्योंकि ये सैनिक अंतरिक्ष में तैनात नहीं किए जाएंगे, बल्कि वहां पर अपने उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष व्हीकलों की सुरक्षा के लिए काम करेंगे। अलग से होगा कोर्स: डिपार्टमेंट आॅफ स्पेस एजेंसी के सहयोग से वायु सेना अंतरिक्ष की जरूरत को देखते हुए अपने कर्मियों की ट्रेनिंग भी देगी। इसके तहत हैदराबाद में स्पेस वॉर ट्रेंनिंग कमांड स्थापित होगा। इसी संस्थान के तहत स्पेस लॉ की ट्रेनिंग के लिए अलग से कॉलेज भी बनाए जाएंगे। इसका अलग से कोर्स होगा।
चीन, अमेरिका समेत कई देशों की स्पेस विंग
???? मार्च 2019 में मिशन शक्ति की सफलता के बाद जोश बढ़ा है। तब डीआरडीओ ने एक एंटी-सैटेलाइट (एएसएटी) इंटरसेप्टर मिसाइल की मदद से धरती की निचली कक्षा में 283 किलोमीटर ऊंचाई पर 740 किलोग्राम वजनी माइक्रोसैट-आर सैटेलाइट को नष्ट किया था। ???? चीन बड़ी तेजी से अरअळ हथियार बना रहा है। इनमें डायरेक्ट असेंट मिसाइलों से लेकर को-आॅर्बिटल किलर्स के साथ-साथ लेजर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपंस, जैमर्स और साइबर वेपंस शामिल हैं। ???? अगर चीन के पास स्पेस सेक्टर के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स (पीएलएएसएफ) है तो अमेरिका ने 2019 में एक पूर्ण अंतरिक्ष बल (यूएसएसएफ) बनाया है। ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और रूस जैसे कई अन्य देशों की वायुसेना में भी अंतरिक्ष कमान या विंग है।
वायुसेना इसरो के साथ मिलकर कर रही काम
आईएएफ ने अंतरिक्ष के हर पहलू का दोहन करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। अब यह सिर्फ आईएसआर (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रीकॉनेसॉ), कम्युनिकेशन और नेविगेशन क्षमताओं तक सीमित नहीं है। वायुसेना अब इसरो, डीआरडीओ, इन-स्पेस और प्राइवेट इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम कर रही है। सूत्र ने कहा, पीएनटी (पोजीशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग), अडवांस्ड आईएसआर और कम्युनिकेशन, अंतरिक्ष मौसम भविष्यवाणी, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस, स्पेस ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में काम चल रहा है।
जल्द स्पेस में होंगे 100 से ज्यादा मिलिट्री सैटेलाइट्स
वायुसेना का प्लान है कि अगले 7 से 8 साल में निजी क्षेत्र की मदद से 100 से ज्यादा छोटे-बड़े मिलिट्री सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में पहुंचाए जाएं। 2019 में बनी ट्राई-सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी भी फुल- μजेल्ड स्पेस कमांड के रूप में बदल रही है।