भारत ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास... चंद्रयान-3 इंदौर की वैज्ञानिक मेधा को मिला बूस्टर डोज
इंदौर। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखकर दुनिया का पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और टीम ने देश और दुनिया में अपनी मेधा का लोहा मनवाने वाली इंदौर की वैज्ञानिक मेधा को भी उत्साह से भर दिया है। इंदौर के आरआर केट, आईआईएम, आईआईटी और जीएसआईटीएस का न केवल मोरल बूस्ट हुआ है, बल्कि कैप्सूल सैटेलाइट बनाने की योजना भी छात्र बनाने लगे हैं। उधर, शहर के प्रथम नागरिक महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा- जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान।
हमने संभव कर दिखाया : आरआर कैट
यह भारत की लैंडमार्क उपलब्धि है। विश्व में हम पहली बार ऐसा कर रहे हैं। ये भारत के सभी रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थानों के लिए गौरव का क्षण है। इस उपलब्धि ने हम सभी का कॉन्फिडेंस बढ़ाया है। यह विश्वास बढ़ाया है कि हम विश्व में किसी भी काम में अग्रणी हो सकते हैं। असंभव को भारतीय संभव बना सकते हैं।साइंटिस्ट और इंजीनियर के लिए बड़ी मॉरल बूस्टर उपलब्धि है। -डॉ. एसवी नाखे, डायरेक्टर आरआर कैट इंदौर
हम सबके लिए गौरव का पल है : भार्गव
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा- देश के वैज्ञानिकों ने गौरवान्वित कर दिया है। आज देश की वैज्ञानिक मेधा पर पूरी दुनिया को गर्व है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व की सराहना भी की। राजवाड़ा पर उमड़े पूरे शहर का उत्साह देखते ही बनता है।
महिला शक्ति का अविश्वसनीय योगदान
चंद्रयान-3 टीम को बधाई। इस मिशन में जो समर्पण और कड़ी मेहनत का प्रदर्शन सराहनीय है। यह उन 54 महिला इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के अविश्वसनीय योगदान का परिणाम है, जिन्होंने मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारी महिला भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा ने रूढ़िवादिता को पराजित किया है, जिससे अनगिनत महत्वाकांक्षी युवा महिलाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है। - प्रो. हिमांशु रॉय,निदेशक आईआईएम इंदौर
उपलब्धि से बढ़ेगा आत्मविश्वास
स्पेस के क्षेत्र में काम करने वाले नए स्टार्ट अप का इस उपलब्धि से आत्मविश्वास बढ़ेगा। इस सफलता ने भारत को अग्रणी देशों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। इस मिशन से हासिल की गई तकनीक अगले और अधिक जटिल अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाने में मदद करेगी। लैंडर और रोवर मॉड्यूल द्वारा किया जाने वाला माप चंद्रमा की सतह पर रासायनिक संरचना और पानी की उपस्थिति सहित चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। -प्रोफेसर सुहास जोशी, डायरेक्टर, आईआईटी इंदौर
बेहतर इंजीनियरिंग का परिणाम : जीएसआईटीएस
वैज्ञानिकों की मेहनत का परिणाम है। इंजीनियरिंग की सभी विधाओं और बेहतर समन्वय का परिणाम यह सफलता है। विद्यार्थी इतने मोटिवेट हुए कि उन्होंने कई सुझाव दिए कि आगे कैसे इंजीनियरिंग में काम करना है। कैप्सूल सैटेलाइट बनाने की योजना भी छात्र बनाने लगे हैं। -डॉ. राकेश सक्सेना, डायरेक्टर जीएसआईटीएस