तलाक के केस में 62% लव मैरिज के, इनमें 20% लिव इन

भोपाल फैमिली कोर्ट में आए केस तस्दीक कर रहे सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी की, प्रेम विवाह के बाद ज्यादा विवाद

तलाक के केस में 62% लव मैरिज के, इनमें 20% लिव इन

भोपाल। हाल ही में एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि लव मैरिज में सबसे अधिक तलाक हो रहे हैं। यह कुछ लोगों के लिए बहस का मुददा भी बना, लेकिन भोपाल फैमिली कोर्ट के आंकड़े भी यही कह रहे हैं। यहां पहुंचने वाले तलाक के 62 फीसद मामले लव मैरिज के हैं। इन मामलों में से लगभग 20 फीसदी ऐसे हैं, जिनमें लंबे समय तक लिव इन में रहे फिर शादी कर ली।

केस-1 अरेरा कॉलोनी निवासी जोड़े ने एक साल पहले प्रेम विवाह किया था। छोटे-छोटे झगड़ों, मनमुटाव को लेकर दोनों अलग हो गए। पत्नी का आरोप है कि शादी के बाद पति बदल गया है। अब वह केवल मां की सुनता है। विवाद के बाद पत्नी दुधमुंहे बच्चे को लेकर मायके चली गई थी और आपसी सहमति से दोनों का तलाक हो गया।

केस-2  भोपाल का कपल नागपुर में दो साल लिव इन में रहा। इसके बाद दोनों ने चुपचाप आर्य समाज मंदिर से शादी कर ली। पत्नी की बेंगलुरु में ट्रेनिंग के दौरान उसने पति से सारे संबंध तोड़ लिए। पति ने विरोध जताया तो पत्नी ने कोर्ट में शादी को अमान्य बताते हुए शून्य करने की बात कही। पत्नी के मुताबिक शादी के वक्त वह होश में नहीं थी।

छह महीने भी नहीं टिकी शादी :

फैमिली कोर्ट पहुंचने वाले तीन फीसदी मामलों में शादी छह माह भी नहीं टिक पाई और इसी बीच विवाद थाने या कोर्ट तक पहुंच गया। जानकारी के मुताबिक इस तरह के मामलों में समझौते की गुंजाइश न के बराबर रहती है और तलाक ही अंतिम निर्णय आता है। इनमें मध्यम और उच्च मध्यम वर्गीय परिवार के मामले अधिक हैं।

वास्तविकता का नहीं कर पाते सामना

शादी से पहले प्रेमी युगल अपनी ही आभासी दुनिया में जीते हैं। शादी के बाद व्यावहारिक दुनिया से उनका आमना-सामना होता है। जहां दिक्कतें आना स्वाभाविक है। कई लोग वास्तविकता को समझ नहीं पाते और सपनों की पुरानी जिंदगी को ही जीने की कोशिश करते हैं। प्रेम विवाह में लड़की की अपेक्षाएं ज्यादा होती हैं, इसलिए झगड़ों की आशंका बढ़ जाती है। - दीप्ति सिंघल, साइकोलॉजिस्ट