भरतनाट्यम में 58 नृत्यांगनाओं ने लय और ताल का किया अद्भुत प्रदर्शन
रवींद्र भवन में शनिवार को 24वां कलांजलि वार्षिकोत्सव ‘कलोत्सव’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भरतनाट्यम पर आधारित नृत्य प्रस्तुति में 58 नृत्यांगनाओं ने भरतनाट्यम की विभिन्न शैली का प्रदर्शन किया। लगभग ढ़ाई घंटे में नृत्यांगनाओं ने 9 अलग-अलग विधा की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति की शुरुआत पुष्पांजलि नृत्य से हुई। इसके बाद गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गई, जिसमें कर्नाटक संगीत के साथ लय और ताल का अद्भुत प्रदर्शन किया। इसके बाद ‘अलरिप्पु’ को प्रस्तुत किया गया। वहीं 20 नृत्यांगनाओं ने नृत्य में ‘जतिस्वरम’ का प्रदर्शन किया। राग मलिका में शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन: अगली प्रस्तुति ‘शब्दम्’ की रही। इसमें नृत्यांगनाओं ने भगवान शिव के विभिन्न रुपों को नृत्य में संजोया। साथ ही राग मलिका और ताल मिश्र में कथा का चित्रण किया, जिसमें एक नायिका सपने में भगवान शिव से मिलने की भावनाओं को अपनी सखी को सुनाती है। इस प्रस्तुति में चेहरे पर भाव एवं शिव के शांत रुप को दिखाया। इसी क्रम में ‘नृत्यति’ में कलाकारों ने मार्कण्डेय पुराण की भगवान शिव पर आधारित कथा के कुछ अंशों को मंच पर प्रस्तुति किया। कलाकारों ने इस प्रस्तुति के लिए एक अलग गाना तैयार किया और अलग-अलग मुद्राओं को दिखाया। कार्यक्रम के अंत में लोक नृत्य भी हुआ। जिसमें राजस्थान का गणगौर नृत्य साथ ही कलाकारों ने कर्नाटक एवं हरियाणा के लोक नृत्य का प्रदर्शन किया।
पंचमूर्ति में भगवान शिव, कृष्ण, गणेश, कार्तिकेय व मां सरस्वती
इसके बाद ‘पंचमूर्ति कोटुवम’ की प्रस्तुति हुई, जिसमें नृत्यांगनाओं ने भगवान शिव, गणेश, मां सरस्वती, कृष्ण एवं कार्तिकेय की कृतियों को दिखाया। अंतिम प्रस्तुति के रूप में नृत्यांगनाओं ने भरतनाट्यम भगवान शिव के रौद्र रूप का वर्णन करते हुए शिव तांडव जैसी मुद्राओं को दिखाया। भरतनाट्यम पर केंद्रित नृत्य प्रस्तुति में भारत माता पर आधारित नृत्य भी खास रहा।