शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से छात्रों को नए अवसर मिलेंगे
ग्वालियर। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान में शिक्षा संस्कृति न्यास मध्य भारत प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में शिक्षण संस्थानों की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय ज्ञानोत्सव- 2080 के शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व राष्ट्रीय शिक्षा नीति के नेशनल ऑब्जर्वर कमेटी के सदस्य डॉ. गोविन्द शर्मा थे। मुख्य अतिथि जीवाजी विवि के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से छात्रों को न केवल नए अवसर मिलेंगे, बल्कि उनके शिक्षा कौशलों को भी सुधारा जा सकेगा। इसके लिए धरातल पर कार्य होने की आवश्यकता है।
स्वामी स्वदीप्तानंद ने कहा कि शिक्षा के नए तरीकों को हमारे पूर्वजों के ज्ञान के साथ मिलाकर प्राथमिक बनाना शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। हमें यह सिखाया कि हमें आपस में परस्पर प्रेम की भावना रखनी चाहिए, जब तक यह नहीं होता, तब तक परिवर्तन नहीं लाया जा सकता है। लोक शिक्षण संचालनालय के संभागीय संयुक्त संचालक डॉ. दीपक पांडेय ने विद्यालयीन स्तर पर शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के प्रयासों की बात कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रो.सिंह निदेशक ने की। विशिष्ट अतिथि म.प्र.हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल ने शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में स्कूल-कॉलेज के छात्रों द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई गई।
आपस में परस्पर प्रेम की भावना रखना चाहिए
डॉ. कड़ेल, प्रोफेसर डॉ. कपिल कांत स्वामी ने बताया कि शिक्षा के नए तरीकों को हमारे पूर्वजों के ज्ञान के साथ मिलाकर प्राथमिक बनाना शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने हमें यह सिखाया कि हमें आपस में परस्पर प्रेम की भावना रखनी चाहिए, जब तक यह नहीं होता, तब तक परिवर्तन नहीं लाया जा सकता है। अन्य वक्ताओं ने भी इस बारे में जोर दिया कि शिक्षा सिर्फ तथ्यों को याद करने और परीक्षा देने के बारे में नहीं है, बल्कि यह वास्तव में चीजों को प्राकृतिक रूप से सीखने के बारे में है। अपने जीवन में ज्ञान को लागू करना सबसे महत्वपूर्ण है और यह शिक्षा का वास्तविक अर्थ है नई शिक्षा नीति इस बात पर बल देती है।