गाड़ी की स्पीड 5% कम की जाए तो सड़क हादसे 30 फीसदी घटेंगे
डब्ल्यूएचओ ने परिवहन विभाग के साथ मिलकर किया शोध
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की नई स्टडी में दावा किया गया है कि अगर वाहन की गति में 5% की कटौती कर लें तो सड़क हादसों में 30% की कमी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की यह स्टडी परिवहन विभाग और ब्लूमबर्ग फिलेंथ्रोपीज इनिशिएटिव फॉर ग्लोबल रोड सेμटी की ओर से तैयार की गई है। अध्ययन के अनुसार, शहरी स्थानों में गति सीमा 50 किमी प्रति घंटे या उससे कम होनी चाहिए। जिन क्षेत्रों में पैदल चलने वालों की संख्या अधिक है, जैसे स्कूलों, बाजारों या आवासीय क्षेत्रों के आसपास, वहां 30 किमी प्रति घंटे या उससे कम की स्पीड होनी चाहिए। परिवहन विभाग ने दुर्घटनाओं के चार मुख्य कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तेज रμतार, शराब पीकर गाड़ी चलाना, ठीक से हेलमेट न पहनना और सीटबेल्ट का इस्तेमाल न करना शामिल है। स्टडी के अनुसार, सिर पर सही से लगाया गया हेलमेट मौत के खतरे को 40% और गंभीर चोटों को 70% तक कम कर सकता है। सीटबेल्ट- क्रमश: आगे और पीछे की सीट पर बैठे लोगों के लिए मृत्यु दर को 50% और 75% तक कम कर सकता है।
परिवहन विभाग लगाएगा एआई से लैस कैमरे
परिवहन विभाग जल्द ही देशभर के प्रमुख शहरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस कैमरे लगाएगा, जो बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना, दो-पहिया वाहनों पर तीन लोग सवार होना और सीटबेल्ट का इस्तेमाल न करना सहित 19 उल्लंघनों की जांच कर सकेंगे।
सड़क हादसों में दिल्ली टॉप पर
एक करोड़ से अधिक आबादी वाले शहरों में सड़क हादसों से होने वाली मौतों में दिल्ली 2022 में सबसे ऊपर रहा। विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में शहर में सड़क दुर्घटनाओं की कुल संख्या 2021 की तुलना में 18% अधिक थी। दिल्ली में 2022 में 5,652 दुर्घटनाएं हुर्इं, जबकि 2021 में 4,720 थीं। 2023 में, 31 अक्टूबर तक यह आंकड़ा 4,803 पर पहुंच गया था। रिपोर्ट में सड़क सुरक्षा उपायों की जरूरत को रेखांकित किया गया है, जिसमें उचित दंड और लगातार प्रवर्तन के साथ कानून पर ध्यान देना, डेटा-संचालित प्रवर्तन, जन जागरूकता अभियान और प्रवर्तन कार्यों और परिणामों का मूल्यांकन शामिल है।
रμतार बढ़ाते ही हादसे का खतरा ज्यादा:
स्टडी के मुताबिक 60 किमी/ प्रति घंटे की रμतार वाले क्षेत्र में, उसी रμतार से गाड़ी चलाने पर दुर्घटना में घायल होने का जोखिम दोगुना हो जाता है। यह जोखिम 65 किमी/घंटे की रμतार पर चार गुना, 70 किमी/घंटे पर 10 गुना और 75 किमी/घंटे पर 32 गुना तक बढ़ जाता है। शहरी इलाकों में रμतार बढ़ने के साथ-साथ दुर्घटना का जोखिम भी कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
कानून का पालन न करना और इसलिए हादसे जागरुकता न होने से बढ़े हादसे
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि सिर्फ रμतार कम कर देने से ही सड़क सुरक्षा में बहुत कम फायदा हुआ है। अगर कानून का ठीक से पालन नहीं कराया जाता और लोगों को जागरूक नहीं किया जाता है, तो रμतार बदलने का भी कोई खास असर नहीं होता। रिपोर्ट के अनुसार संदेश स्पष्ट होना चाहिए, तेज रμतार चलना खतरनाक, गैरकानूनी और अस्वीकार्य व्यवहार है और सामुदायिक सुरक्षा के हितों के खिलाफ है।