संबंध नहीं सुधरे तो... प्रवासी भारतीय होंगे परेशान, कनाडा को भी भारी नुकसान

संबंध नहीं सुधरे तो... प्रवासी भारतीय होंगे परेशान, कनाडा को भी भारी नुकसान

नई दिल्ली। कनाडा और भारत के बीच टेंशन ने उन लाखों छात्रों और उनके परिवारों का तनाव भी बढ़ा दिया है, जो कनाडा में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। अपने बेहतरीन एजुकेशन सिस्टम से दुनिया भर के छात्रों की टॉप च्वाइस में रहने वाले कनाडा में भारतीय मूल के भी लाखों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वर्तमान तनाव के बीच सभी भारतीय छात्रों को अपने स्टडी वीजा के भविष्य को लेकर भी चिंता है। इमिग्रेशन, रिμयूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) के आंकड़ों के अनुसार कनाडाई संस्थानों और स्कूलों में 31 दिसंबर 2022 तक, कनाडा के लिए सक्रिय स्टडी परमिट (स्टडी वीजा) वाले 807,750 विदेशी छात्र थे। इनमें सबसे ज्यादा इंडिया से करीब 3 लाख 20 हजार के करीब हैं। यह वर्ष 2021 की तुलना में कहीं ज्यादा है। विदेश मंत्रालय द्वारा शेयर की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में कुल 2,61,406 भारतीय छात्र अध्ययन के लिए विदेश गए और 2021 में 71,769 भारतीय छात्र विदेश गए। इनमें सबसे ज्यादा संख्या कनाडा जाने वालों की है। कनाडा में फार्मेसी, फाइनेंस, नर्सिंग और डेंटल की पढ़ाई सबसे ज्यादा होती है। आंकड़ों के मुताबिक कनाडा में इस समय सिर्फ पंजाब के ही करीब दो लाख स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए स्टडी वीजा पर गए हैं। कैनेडियन ब्यूरो आॅफ इंटरनेशनल एजुकेशन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में 1.18 लाख भारतीय कनाडा के स्थायी निवासी बन गए थे। कनाडा में स्टडी के लिए गए एक स्टूडेंट पर करीब 25 लाख रु. फीस का खर्च होता है।

सिखों पर पड़ेगा सर्वाधिक असर

बहुत सारे पंजाबी कनाडा में बस गए हैं। सिखों को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है। अगर विवाद हाथ से बाहर गया तो इसका असर बहुत सारे भारतीयों, खासकर सिखों और पंजाब के लोगों पर पड़ेगा। इसे लेकर पंजाब में दहशत है।

भारतीय स्टूडेंट्स की एंट्री बैन होने का खतरा

जब से दोनों देशों में तनाव बढ़ा है, जो स्टूडेंट्स कनाडा जाने की तैयारी कर रहे है उन्हें अब डर सताने लगा है कि कहीं आने वाले दिनों में कनाडा एंट्री बैन न कर दे। इन हालात में कनाडा अपने देश में आने के नियम सख्त कर सकता है। इसमें उनका वीजा कैंसिल करके स्टूडेंट का डिपोर्ट करना भी शामिल हो सकता है। प्रक्रिया जटिल होने के अलावा विजिटर और स्टडी वीजा में देरी हो सकती है। लोगों को अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने किए कर्ज लेना पड़ता है। लाखों भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ते हैं तो तमाम लोग वहां वर्क परमिट पर काम करते हैं।

कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा बुरा असर

कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी भारतीय अहमियत रखते हैं। जानकारों की नजर में कनाडा और भारत के बीच संबंधों की जड़ में दोनों देशों के बीच व्यापार और कनाडा में रहने वाले भारतीय प्रवासी सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट कहती है कि कनाडा में टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो जैसी 30 भारतीय कंपनियों ने अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। एबीसी न्यूज के अनुसार कनाडा के इंटरनेशनल एयर ट्रैवल मार्केट में योगदान के लिहाज से भारतीय चौथे नंबर पर हैं।

कनाडा में विदेशों से बसने वाले 18.6% भारतीय

कनाडा की जनगणना के मुताबिक वहां पर दूसरे देशों से जाकर बसने वालों की कुल संख्या में से 18.6 फीसदी भारतीय हैं। टाइम मैगजीन के अनुसार, भारत के बाद सिखों की सबसे बड़ी आबादी कनाडा में बसती है। ये वहां की कुल आबादी का 2.1 फीसदी हिस्सा हैं। सिखों के अलावा कनाडा में तमिल, हिंदी, गुजराती, मलयालम और तेलुगू भाषी लोगों की भी अच्छी-खासी तादाद है। फोर्ब्स ने इस साल एक रिपोर्ट छापी, जिसमें बताया गया कि कनाडा में भारतीय प्रवासियों की संख्या साल 2013 के बाद तीन गुना से भी अधिक हो गई है।