2 डिग्री पारा बढ़ा तो दुनियाभर के 220 करोड़ लोगों पर संकट
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद किया खुलासा
नई दिल्ली। वैश्विक तापमान को लेकर एक रिसर्च में डरावना खुलासा हुआ है। रिसर्च में कहा गया है कि अगर वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया तो भारत-पाकिस्तान समेत कई देशों के 220 करोड़ से ज्यादा लोगों को जानलेवा गर्मी का सामना करना पड़ेगा। रिसर्च में कहा गया है कि तापमान बढ़ने के बाद लोगों में हीटस्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाएगा। रिसर्च में कहा गया है कि उत्तरी भारत, पूर्वी पाकिस्तान, पूर्वी चीन और उपसहारा अफ्रीका को सबसे ज्यादा हाई ह्यूमिडिटी वाली गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका स्थित पेन स्टेट कॉलेज ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट, पर्ड्यू यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंसेज और पर्ड्यू इंस्टीट्यूट फॉर ए सस्टेनेबल के अनुसंधान प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक, तापमान बढ़ा तो इन देशों के लोगों को हाई ह्यूमिडिटी वाली हीटवेव का सामना करना पड़ेगा, जो बेहद खतरनाक होगा। रिसर्च के अनुसार औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से यह वृद्धि मुख्य रूप से विकसित देशों की ओर से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने से जुड़ी है।
सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर आएंगे लपेटे में
इस जानलेवा ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में भारत और सिंधु घाटी सहित दुनिया के कुछ सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र आएंगे। जो शहर इस वार्षिक गर्मी की लहर का खामियाजा भुगतेंगे उनमें दिल्ली, कोलकाता, शंघाई, मुल्तान, नानजिंग और वुहान शामिल होंगे। क्योंकि इन क्षेत्रों में निम्न और मध्यम आय वाले लोग शामिल हैं, इसलिए लोगों के पास एयर-कंडीशनर या अपने शरीर को ठंडा करने के अन्य प्रभावी तरीकों तक पहुंच नहीं हो सकती है।
रोकने होंगे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव
आईपीसीसी ने सुझाव दिया है कि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को रोकने के लिए दुनिया को साल 2019 की तुलना में में 2030 तक उत्सर्जन में आधी कटौती करनी होगी। इसी से वैश्विक औसत तापमान में आई तेजी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है। वैश्विक एजेंसियों का दावा है कि पिछले चार महीने जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे हैं। चिंता की बात यह है कि 2023 अब तक का सबसे गर्म साल बनने की ओर अग्रसर है।
तापमान में हो सकती है 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि : आईपीसीसी
रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन को लेकर साल 2015 में 196 देशों ने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका लक्ष्य वैश्विक तापमान में आई तेजी को पूर्व- औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना था। हालांकि इसको लेकर दुनिया के प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों से बनी संस्था इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने डरा दिया है। इस संस्था का कहना है कि दुनिया इस सदी के आखिर तक एक बिजनेस-एज के तहत तापमान में लगभग 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की राह पर है।