ये हाल होगा ऐसा तो नहीं सोचा था शहर की पहली स्मार्ट रोड का

ये हाल होगा ऐसा तो नहीं सोचा था शहर की पहली स्मार्ट रोड का

जबलपुर। 5 साल पहले जब शहर की पहली स्मार्ट रोड बनी थी तो लोग इसे देखने के लिए आते थे। शहर की अन्य सड़कों की तुलना में ये चूंकि अलग भी थी तो आकर्षण का केन्द्र भी रही। चलने के लिए फुटपाथ,ग्रीनरी,अंडग्राउंड कचरे के डिब्बे,दीवारों पर आकर्षक कलाकृतियां,स्मार्ट लाइट पोल आदि इसमें लगे हैं। समय के साथ इस रोड पर ध्यान न दिए जाने के कारण ये केवल कारों और बसों सहित अन्य वाहनों की पार्किंग बनकर रह गई है।

इस रोड की बनने के पहले चौड़ाई 80 फीट तय की गई थी मगर यहां के रहवासियों ने अपनी जमीनें देने से इंकार कर दिया बाद में इसकी चौड़ाई 60 फीट में बनी। इसमें भी रोड 30 फीट और दोनों ओर 6-6 फीट के फुटपाथ,अंडरग्राउंड केबल,नाली आदि का निर्माण हुआ। शुरूआत मे इसकी लागत 10 करोड़ थी जो बनते -बनते 28 करोड़ तक पहुंच गई थी। इसके बाद भी नगर निगम ने और स्मार्ट रोड बनाईं मगर ये इसके जैसी नहीं थीं।

दोपहिया निकालना तक मुश्किल

फिलहाल आलम यह है कि शाम के वक्त मानस भवन से यदि नगर निगम चौराहे की ओर आना हो तो एमएलबी होकर मानस भवन से गुजरना दो पहिया वाहन चालकों तक के लिए मुश्किल है। इसकी वजह एक तो आए दिन मानस भवन में होने वाले आयोजनों में आने वालों के चार पहिया वाहन खड़े होना और सामने की ओर खान-पान क ी दुकानें हैं जिनके ग्राहकों के चार पहिया व दोपहिया वाहन यहां बेतरतीबी से पार्क होते हैं। इसके अलावा रात में यहां बसें खड़ी की जाती हैं। यातायात विभाग ने यह सड़क जैसे भगवान भरोसे छोड़ दी है।

शुरू से अंत तक कब्जे ही कब्जे

होमसाइंस के पास से मुड़ने पर जैसे ही इस रोड पर प्रवेश करेंगे तो चाट वालों के कब्जे सामने मिलेंगे। यहां पर पूरे दिन बेहद व्यस्त यातायात होता है और जाम के हालात बने रहते हैं। आज तक जिम्मेदारों का ध्यान इस बात पर नहीं आया है कि यदि यहां के अवैध कब्जे हटा दिए जाएं तो यातायात सुचारू हो सकता है और लोगों को जाम से भी निजात मिल जाएगी। आगे बढ़ने पर अस्पताल और अन्य व्यवसायिक संस्थान हैं जिनकी रोड पर पार्किंग होती है। जहां नाले पर एनएमटी बनी है वहां पर सड़क तक गैरेज के वाहन फैले होते हैं। एमएलबी परिसर के आसपास लोगों ने कबाड़ वाहन खड़े कर रखे हैं।

कब्जों में गुम हुआ उद्देश्य

स्मार्ट रोड बनाने का उद्देश्य था कि यहां सहजता से अंडर ग्राउंड लाइटिंग के साथ वर्तमान मानकों के साथ विकास किया जाए। इसे लेकर स्मार्ट सिटी ने अच्छा खासा बजट भी खर्च किया था। लेकिन इस सड़क को कब्जों से कैसे मुक्त किया जाए इसका कोई प्लॉन नगर निगम के पास नहीं है। इस स्मार्ट रोड के हर हिस्से पर कब्जे हो चुके हैं जिसके चलते इस सड़क को बनाए जाने का उद्देश्य ही गुम हो चुका है। जनता की सहूलियत के लिए बनी इस स्मार्ट रोड पर जिम्मेदारों की अनदेखी भारी पड़ रही है।

हम समय-समय पर अतिक्रमण अभियान चलाते हैं,वाहन कुछ समय के लिए खड़े होते हैं,इसके लिए ट्रैफिक विभाग से संपर्क कर अभियान चलाएंगे। सागर बोरकर प्रभारी अन्याक्रान्ति विभाग,ननि।