मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं और आप भी चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद चंद्रयान का मैसेज
नई दिल्ली। चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश हो गया है। हालांकि, इसके दक्षिणी धु्रव पर लैंड करने वाला वह पहला देश है। इससे पहले पूर्व सोवियत संघ, अमेरिका और चीन चंद्राम पर लैंड कर चुके हैं। लेकिन किसी ने भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग नहीं की है। भारत ने यहां लैंडिग कर नया इतिहास और दूसरे देशों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। गौरतलब है कि चंद्रमा पर अब तक अमेरिका ने सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं। चंद्रमा पर मानव भेजने वाला अकेला देश भी अमेरिका ही है। फिलहाल चंद्रमा पर जाने की होड़ तेज हो गई है। रूस का लूना-25 कुछ दिन पहले क्रैश हो गया, लेकिन अमेरिका 2025 में और चीन 2026 में मानव को चंद्रमा पर भेजेगा।
साउथ पोल को ही क्यों चुना
- यहां के क्रेटर्स में बर्फ जमा है, जिसे चंद्रयान-1 ने खोजा था।
- बर्फ से पानी मिलेगा जिससे यहां स्थाई स्टेशन बन सकते हैं।
- यहां की हाइड्रोजन से आगे के मिशन को μयूल मिल सकेगा।
- चंद्रमा के इस हिस्से में कई जरूरी मिनिरल्स भी हैं।
दक्षिणी धु्रव पर लैंडिंग में आती हैं कई परेशानियां
अब तक चांद के लिए जो भी मिशन भेजे गए हैं वो चांद के उत्तर में या फिर मध्य में लैंड करने के लिए भेजे गए हैं। यहां पर लैंडिंग के लिए जगह समतल है और सूरज की सही रोशनी भी आती है। लेकिन, दक्षिणी ध्रुव चांद का वो इलाका है जहां रोशनी नहीं पहुंचती। साथ ही इस जगह पर चांद की सतह पथरीली, ऊबड़खा बड़ और गड्ढों से भरी है। यहां पहुंचने वाली सूरज की किरणें टेढ़ी होती हैं। इस कारण यहां गड्ढों और ऊबड़-खाबड़ जमीन की पहचान कर पाना बेहद मुश्किल है।11111करीब 30 मिनट चला लैंडिंग प्रॉसेस चंद्रयान-3 का लैंडिंग प्रॉसेस मंगलवार शाम 5:44 बजे शुरू हुआ। 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा कर शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 ने लैंडिंग की। इसरो से मिली जानकारी के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल हुआ और बाकी दो इंजन बंद कर दिए गए थे। इसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को रिवर्स थ्रस्ट देना था। लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच की।
लैंडिंग के 2 घंटे 26 मिनट बाद बाहर आया रोवर प्रज्ञान:
यह 6 चक्कों वाला रोबोट है जो चांद की सतह पर चलकर अनेक तरह की जानकारियां और डाटा इकट्ठा करेगा। इसके चक्कों पर अशोक स्तंभ की छाप है। इसके चलने से चंद्रमा की सतह पर देश का राष्ट्रीय चिन्ह छपता जाएगा।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए इसरो को बधाई। चांद पर सफलतापूर्वक सॉμट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनने के लिए भारत को बधाई। इस मिशन में आपका सहयोगी बनकर हमें बेहद खुशी है। - बिल नेल्सन, प्रशासक, नासा
क्या करेगा रोवर प्रज्ञान
चंद्रयान -3 के रोवर में चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फगिर की गई मशीनें लगी हैं। यह चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना पर डेटा एकत्र करेगा और लैंडर को डेटा भेजेगा। लैंडर पर तीन पेलोड्स हैं। उनका काम चांद की प्लाज्मा डेंसिटी, थर्मल प्रॉपर्टीज और लैंडिंग साइट के आसपास की सीस्मिसिटी मापना है ताकि चांद के क्रस्ट और मैंटल के स्ट्रक्चर का सही-सही पता लग सके। एक पेलोड चांद की सतह पर प्लाज्मा (आयन्स और इलेट्रॉन्स) के बारे में जानकारी हासिल करेगा।
इसरो को दी बधाई
जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती हैं। यह पल अविस्मरणीय है, अभूतपूर्व है, यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
चंद्रयान-3 की सफलता ने हमें भविष्य के और अधिक चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने का आत्मविश्वास प्रदान किया है। - एस सोमनाथ, इसरो प्रमुख
सारा देश आज गौरवान्वित है। मन, आनंद और प्रसन्नता से सराबोर है। मैं भारत के वैज्ञानिकों को हृदय से धन्यवाद देता हूं, जिनकी बुद्धिमत्ता और अथक परिश्रम से यह क्षण आए हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को भी प्रणाम करता हूं। -शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मप्र
सफलता के लिए इसरो को बधाई। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉμट लैंडिंग वैज्ञानिक कम्युनिटी की वर्षों की मेहनत का परिणाम है। - राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
स्पेस सुपरपॉवर बना भारत
क्यों खास है चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग
- पहली बार किसी देश ने की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग।
- दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ इससे मिलेगा पानी, आगे के मिशन के लिए बन सकता है μयूल।
- अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर लैंड करने वाला चौथा देश बना भारत। दूसरी बार में मिली सफलता।
- सफल लैंडिंग के बाद इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने देश से कहा- इंडिया इज आॅन द मून।
चांद से बहुत आगे तक
है इसरो की नजर क्यों खास है चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग
- आदित्य एल-1 (सितंबर 2023)
- नासा-इसरो सार (निसार) सैटेलाइट (जनवरी 2024)
- मंगलयान-2 (2024)
- गगनयान (2024)
- शुक्रयान-1 (2031)