10वें दिन जगी उम्मीद: कैमरे पर दिखे मजदूर, बात भी की
सिलक्यारा/देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए मंगलवार की अलसुबह उम्मीद की किरण लेकर आई। सुबह 3:52 बजे एंडोस्कोपिक कैमरे की मदद से फंसे हुए मजदूरों की स्थिति देखी गई। उनसे वॉकी- टॉकी से बात भी की गई। एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर महमूद अहमद ने इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही यह उम्मीद भी बलवती हो गई है कि मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। विशेषज्ञ इस पर काम कर रहे हैं।
1. एंडोस्कोपिक कैमरे से सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की एक-एक कर गिनती कराई गई। इस दौरान उनके चेहरे पर खुशी भी दिखी।
2. कैमरे को बहुत करीब से देखते टनल के अंदर फंसे दो मजदूर। वे किसी उम्मीद से देख रहे हैं। पूरे 10 दिन बाद मजदूरों को देखा गया।
3. एक अन्य मजदूर भी कैमरे के करीब पहुंचा। टनल में फंसे मजदूरों से वॉकी टॉकी के माध्यम से बात की गई और खाना भी पहुंचाया।
तीन प्लान किए तैयार
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन तथा नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य ले. जनरल सैयद अता हसनैन (रिटायर्ड) ने तीन प्लान तैयार किए हैं। इसके अनुसार, मजदूरों को निकालने में दो से 40 दिन का समय लग सकता है।
प्लान-1: ऑगर मशीन दो-तीन दिन में सुरंग बना सकती है और मजदूरों को निकाला जा सकता है।
प्लान-2: सिलक्यारा टनल के दोनों ओर से रास्ता बनाया जा सकता है। इसमें 12-15 दिन लग सकते हैं।
प्लान-3: डंडालगांव से टनल खोदना है। इसमें 35-40 दिन लग सकते हैं।
ऑगर मशीन से दोबारा ड्रिलिंग शुरू:
सुरंग में ऑगर मशीन से दोबारा ड्रिलिंग शुरू हुई है, जिससे अब तक करीब 34 मीटर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है। पूर्व में 900 एमएम व्यास के 22 मीटर पाइप के अंदर ही 820 एमएम व्यास के 12 मीटर तक पाइप डाले जा चुके हैं।
योग करने की सलाह : मनोवैज्ञानिक अभिषेक शर्मा को टनल के पास भेजा गया। उन्होंने मजदूरों को चलने व योग की सलाह दी।
हम सभी लोगों को बाहर निकाल लेंगे। वर्टिकल ड्रिलिंग सटीक होनी काफी अहम है। वर्टिकल और हॉरिजोंटल ड्रिलिंग का भी जायजा लेंगे। - प्रो. अर्नोल्ड डिक्स, इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट, ऑस्ट्रेलिया