समलैंगिकता एक खतरनाक बीमारी, इलाज करवाना जरूरी
नई दिल्ली। देश में समलैंगिक विवाह पर चल रही बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला शाखा ने शनिवार को कहा कि समलैंगिकता एक खतरनाक बीमारी है और अगर इस तरह के विवाहों को वैध कर दिया जाता है तो यह बीमारी और बढ़ जाएगी। इसपर रोक लगाना बहुत जरूरी है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि समलैंगिक संबंध यौन रोगों के संचरण का कारण बन सकते हैं। राष्ट्र सेविका समिति, सामुदायिक न्यास के पदाधिकारी ने कहा कि लगभग 70% डॉक्टरों और संबद्ध चिकित्सा पेशेवरों ने कहा, समलैंगिकता एक विकार है, जबकि उनमें से 83% ने यौन रोग के संचरण की पुष्टि की है। संघ के निकाय ने कहा, सर्वे में यह देखा गया है कि इस तरह के विवाहों को वैध बनाने का निर्णय अव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है।
समाज की भलाई के लिए हिन्दू जीवन में विवाह एक संस्कार ह
आरएसएस ने कहा कि वह हिंदू जीवन में विवाह को संस्कार मानता है, जो न तो आनंद के लिए है और न ही अनुबंध के लिए, बल्कि सामाजिक भलाई के लिए है।
माता-पिता नहीं कर पाएंगे बच्चों की अच्छी परवरिश
सर्वे में 67% चिकित्सकों ने कहा, उन्हें लगता है कि समलैंगिक माता-पिता बच्चों की अच्छी परवरिश नहीं कर पाएंगे। 57% ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का विरोध किया।
सीजेआई से कहा था मानव अस्तित्व के लिए खतरा :
पिछले हμते, एक हिंदू धार्मिक संगठन ने सीजेआई चंद्रचूड़ को यह दावा करते हुए लिखा था कि इस तरह के संघ मानव अस्तित्व के लिए हानिकारक हैं और छऋइळदकअ+ समुदाय के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा और सुनिश्चित करने के लिए एक रजिस्टर का सुझाव दिया है।
1विवाह को वैध बनाने से पहले जानें जनता की राय
सर्वेक्षण में सिफारिश की गई है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाने की मांग पर कोई निर्णय लेने से पहले जनता की राय ली जानी चाहिए। कई धार्मिक निकायों ने समलैंगिक विवाह की मान्यता का जोरदार विरोध किया है। कुछ इसे मानव अस्तित्व के लिए हानिकारक मानते हैं।