CVC में गृह मंत्रालय, रेलवे, बैंक अफसरों की सबसे ज्यादा शिकायतें

CVC में गृह मंत्रालय, रेलवे, बैंक अफसरों की सबसे ज्यादा शिकायतें

नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने साल 2022 की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय, रेलवे और बैंक अफसरों के खिलाफ देश भर में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलीं। इस रिपोर्ट को हाल ही में सार्वजनिक किया गया है। रिपोर्ट में निपटाई गई शिकायतों की संख्या के साथ-साथ तीन महीने से ज्यादा पेंडिंग शिकायतों का भी जिक्र है। इसमें गृह मंत्रालय सबसे ऊपर है। नियम के अनुसार शिकातों का निपटारा तीन माह में होना चाहिए। लेकिन गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ कुल शिकायतों में से 19,198 शिकायतें तीन महीने से ज्यादा समय से लंबित हैं। वहीं रेलवे की 917 शिकायतों का निपटान लंबित है। रेलवे के खिलाफ की गई 9 शिकायतें 3 महीने से ज्यादा समय से लंबित हैं।

बैंकों ने भ्रष्टाचार की कुल शिकातों में 78 शिकायतें 3 महीने से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ 7,370 शिकायतें थीं। इनमें से 6,804 का निपटारा कर दिया गया और 566 लंबित हैं। 18 शिकायतें तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं।

इन विभागों के खिलाफ भी हैं शिकायतें

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के कर्मचारियों के खिलाफ 2,150 और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के कर्मचारियों के खिलाफ 1,101 शिकायतें की गई हैं। रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,619, दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ 1,308, वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,202 शिकायतें मिली हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमा कंपनियों के खिलाफ 987 शिकायतें कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतें और पेंशन मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 970 और इस्पात मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 923 शिकायतें की गई हैं।

तीन महीने की है समय सीमा : सीवीसी ने शिकायतों की जांच करने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारियों को तीन महीने की समय-सीमा निर्धारित की है। इस समय सीमा के अंदर अधिकारियों को शिकायतों का निराकरण करना होता है।

क्या है केंद्रीय सतर्कता आयोग?

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) भारत सरकार के अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से संबंधित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है। ये एक स्वतंत्र निकाय है, जो किसी भी मंत्रालय के अधीन न होकर भारत की संसद के प्रति जिम्मेदार है और अपनी रिपोर्ट पेश करती है।

11 फरवरी, 1964 को भ्रष्टाचार निवारण समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की थी। वर्तमान में इसमें एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (अध्यक्ष) और अधिकतम 2 सतर्कता आयुक्त (सदस्य) शामिल होते हैं।