हाईकोर्ट ने गोलमोल जवाब देने पर फिर लगाई निगमायुक्त को फटकार
ग्वालियर। न्यायाधीश रोहित आर्या व न्यायाधीश संजीव एस कालगांवकर ने बुधवार को विश्वजीत रतौनिया द्वारा स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई की। न्यायालय ने 10 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में निगमायुक्त को स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण के लिए फंड स्वीकृत होगा या नहीं, इसे लेकर और स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर किए गए कार्यों की रिपोर्ट के साथ पेश होने का आदेश दिया था। मगर निगमायुक्त स्पष्ट तौर पर यह नहीं बता पाए कि स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण के लिए फंड स्वीकृत होगा या नहीं।
इस पर न्यायालय ने नाराजगी जाहिर करते हुए फिर से फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि आपको ऐसा लग रहा है कि यह काम हाईकोर्ट अपने लिए कर रहा है। यह काम ग्वालियर के विकास व यहां की जनता के लिए है। कोर्ट ने निगमायुक्त से 6 बिंदुओं पर 24 जनवरी तक जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई जस्टिस रोहित आर्या व जस्टिस संजीव एस कालगांवकर ने की। सुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह, अपर कलेक्टर अंजू अरुण कुमार, स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर, जल संसाधन विभाग, वन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
6 हजार वर्गफीट बेशकीमती जमीन दोबारा हुई सरकारी
सर्वोच्च न्यायालय ने नई सड़क लश्कर क्षेत्र स्थित 6 हजार वर्गफीट बेशकीमती जमीन को शासकीय माना है। विचाराधीन एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) में सर्वोच्च न्यायालय ने शासन हित में फैसला सुनाया है। साथ ही इस जमीन के अतिक्रमण पर 25 हजार रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया है। नई सड़क क्षेत्र स्थित शासकीय रामानुज मंदिर से जुड़ी जमीन का बाजार मूल्य लगभग 6 करोड़ रुपए है। जिला प्रशासन ने पुख्ता तथ्यों के साथ प्रस्तुत किए गए जवाब-दावा एवं मजबूत पैरवी की बदौलत शासन हित में फैसला आया है। कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने न्यायालयों में विचाराधीन सरकारी जमीन संबंधी अन्य सभी मामलों में पुख्ता तथ्यों के साथ जवाब-दावा प्रस्तुत करने के निर्देश जिले के सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को दिए हैं।
उन्होंने साफ किया है कि यदि तथ्यों के अभाव में शासन हित प्रभावित हुआ तो संबंधित राजस्व अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व लश्कर विनोद सिंह ने बताया कि नई सड़क क्षेत्र में शासकीय रामानुज मंदिर से जुड़ी सर्वे क्रमांक 156 रकबा 5 हजार 939 वर्गफीट नजूल आबादी की जमीन पर सुशीला कछावा ने अतिक्रमण कर लिया था। सिविल न्यायालय में चले इस प्रकरण में शासन की जीत हुई। इस फैसले से लगभग 6 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की जमीन फिर से सरकारी हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के परिपालन में सुशीला कछावा से 25 हजार रुपए का जुर्माना वसूलने के लिए तहसीलदार लश्कर को लिखित में निर्देश जारी किए हैं।
इन बिंदुओं पर मांगा शपथ पत्र
स्वर्ण रेखा नदी में सीवर लाइन डालने के लिए तैयार डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) का कितने समय में परीक्षण कर लेंगे, अमृत-2 के तहत 135 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। इस राशि को कब तक नगर निगम को जारी कर दी जाएगी, डीपीआर के परीक्षण दल में कौन- कौन विशेषज्ञ हैं। परीक्षण के बाद डीपीआर को वित्त विभाग के पास कितने समय में भेज देंगे। स्मार्ट सिटी के फंड से 10 करोड़ के कचरा वाहन खरीदने हैं। इन वाहनों को खरीदने की अनुमति कब तक मिलेगी। वन विभाग को पौधरोपण के लिए फंड मिलना है, यह फंड कब तक मिल जाएगा। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत एसटीपी (सीवर ट्रीटमेंट प्लांट) की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजने की जानकारी देनी है। स्मार्ट सिटी को स्वर्ण रेखा की फेंंिसग करना है, इसकी स्थिति बतानी है।