अस्पताल में 20 से 30 फीसदी बढ़े हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज के मरीज

अस्पताल में 20 से 30 फीसदी बढ़े हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज के मरीज

ग्वालियर। सर्दी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही लोगों को गर्मी से राहत तो मिली, लेकिन अस्पतालों में सर्दी, खांसी व अस्थमा के साथ हार्ट अटैक एवं ब्रेन हेमरेज के मरीजों में खासा इजाफा हुआ है। जेएएच के न्यूरोलॉजी विभाग एवं कार्डियोलॉजी विभाग में अब इस प्रकार के केस पहुंचना प्रारंभ हो गए हैं और सामान्य दिनों से तुलना की जाए तो 20 से 30 फीसदी अधिक केस आ रहे हैं। युवा वर्ग में हार्टअटैक एवं कार्डियक अरेस्ट की समस्या अधिक देखने को मिल रही है। डॉक्टर्स के मुताबिक युवाओं के द्वारा शारीरिक श्रम कम करना, स्ट्रेस एवं अनियंत्रित खानपान के साथ के कारण बीपी व शिकायत या फिर हृदय संबंधी बीमारी होने के बाद लापरवाही बरतने के कारण इस प्रकार के केस बढ़ रहे हैं और कई मरीजों को स्टेंट डालना पड़ रहे हैं, वहीं न्यूरोलॉजी विभाग में 25 पलंग पर 30 मरीज भर्ती हैं और हर रोज यहां पर पांच से सात मरीज ब्रेन हेमरेज के आ रहे हैं।

ऐसे में डॉक्टर उन मरीजों को खास सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं, जिन्हें ब्लड प्रेशर या फिर हार्ट संबंधी कोई समस्या हैं। डॉक्टर्स की माने तो दरअसल सर्दी के सीजन में शरीर में खून गाढ़ा हो जाता है, जिसकी वजह से मरीजों को हार्ट अटैक या फिर ब्रेन हेमरेज की समस्या पैदा हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले एक-दो दिन में सर्दी का प्रकोप अधिक बढ़ने वाला है, ऐसे में डॉक्टर्स की माने तो जिन लोगों को बीपी या फिर ब्रेन संबंधी कोई समस्या है तो वह नियमित दवाई का सेवन करें।

कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर होता है प्राथमिक उपचार

यदि कार्डियक अरेस्ट के पहले कुछ मिनटों में मरीज को सीपीआर दिया जाए तो मरीज के जीवित रहने की संभावना दोगुना या तिगुना हो सकती है। इसके लिए अपने दोनों हाथों को मरीज की छाती के बीच में रखे और 100 से 120 प्रति मिनट की दर से जोर से छाती पर धक्का दें। हर धक्के के बाद छाती को अपनी सामान्य स्थिति में आने दें। मेडिकल इमरजेंसी हेल्प नहीं आने तक ऐसा करते रहें।

इन जांचों से हो सकता है मालूम

कोलेस्ट्रोल, टीएमटी एवं ईसीजी, टीएमटी, इको और हॉल्टर टेस्ट, ट्रॉप आई एवं एंजियोग्राफी कराकर लोग अपने दिल का हाल जान सकते हैं। ईसीजी से पता चलता है कि हार्ट में किसी प्रकार की दिक्कत हुई है या नहीं। ईको के हार्ट पंंिपंग और हॉल्टर से हार्ट रेट पता चलती है। इसी प्रकार हार्ट संबंधी मरीजों को एंजियोग्राफी की जांच से हार्ट की नसों के ब्लॉकेज का मालूम पड़ जाता है, जिससे आने वाले हार्ट के खतरे से बचा जा सकता है। अगर किसी को हार्ट की दिक्कत हो रही है, छाती में दर्द हो रहा है, सांस फूल रही है, दिल की धड़कन तेज है तो उन्हें इलाज के लिए जरूर जाना चाहिए।