बच्चा पैदा करने पति को जमानत देने की मांग मामले में सुनवाई बढ़ी

बच्चा पैदा करने पति को जमानत देने की मांग मामले में सुनवाई बढ़ी

जबलपुर। हाईकोर्ट ने उस महिला की याचिका पर सुनवाई जनवरी के प्रथम सप्ताह तक के लिए बढ़ा दी है, जिसने बच्चा पैदा करने के लिए इंदौर की जेल में बंद पति को जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। उल्लेखनीय है कि खंडवा निवासी महिला की ओर से यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। जिसमें कहा गया कि था कि एक अपराधिक प्रकरण में न्यायालय ने उसके पति को कारावास की सजा से दंडित किया है। वर्तमान में उसका पति इंदौर जेल में कारावास की सजा काट रहा है। याचिका में कहा गया था कि वह मातृत्व सुख चाहती है।

इसके लिए उसके पति को एक माह की अस्थाई जमानत प्रदान की जाये। याचिकाकर्ता की ओर से सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया कि संतानोत्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया है। याचिका में कहा गया कि सजा से दंडित दोषी कैदी का विवाह याचिकाकर्ता महिला से हुआ है। शादी के बाद से उनकी शादी में कोई परेशानी नहीं है। वंश के संरक्षण के उद्देश्य से संतान उत्पन्न करना धार्मिक दर्शन, भारतीय संस्कृति और विभिन्न माध्यम से मान्यता प्राप्त है। कैदियों के वैवाहिक अधिकारों और इन्हें प्राप्त करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में दोनों को साथ में रहने के राहत प्रदान की है। याचिकाकर्ता भी प्रजनन का लाभ उठाना चाहती है, चाहे वह प्राकृतिक हो या कृत्रिम।

पांच सदस्यीय चिकित्सकों की टीम हुई थी गठित

मामले में सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि याचिकाकर्ता रजोनिवृत्ति की उम्र पार कर चुकी है। उसके प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके से गर्भधारण की कोई संभावना नहीं है। भारत में 40 से 50 साल के बीच महिलाओं में मासिक धर्म आना बंद हो जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से हलफनामा प्रस्तुत करते हुए कहा गया था कि वह संतानोत्पन करने सक्षम है। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने मेडिकल कॉलेज की पांच सदस्यी डॉक्टरों की टीम से याचिकाकर्ता की मेडिकल जांच कराने के आदेश दिये थे।

महिला नहीं कर सकती संतानोत्पत्ति

मामले की पिछली सुनवाई पर पांच सदस्यीय डॉक्टरी टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें बताया गया कि संतानोत्पत्ति के लिए महिला अयोग्य है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मेडिकल रिपोर्ट पर पक्ष प्रस्तुत करने समय प्रदान करने का आग्रह किया था। सोमवार को मामले में आगे हुई सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सरोगेसी व आईबीएफ आदि अत्याधुनिक तकनीक से संतानोत्तपत्ति पर बल दिया। जिसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई जनवरी माह में किये जाने के निर्देश दिये।