स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है इंफेक्शन रोकने वाला रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन इंजेक्शन, लुट रहे मरीज

स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है इंफेक्शन रोकने वाला रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन इंजेक्शन, लुट रहे मरीज

ग्वालियर। गर्मी का प्रकोप शुरू होते ही श्वान एक बार फिर खूंखार हो गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास दिसंबर 2023 से रेबीज के इंफेक्शन को रोकने वाले इंजेक्शन नहीं हैं दूसरी ओर प्राइवेट में लूट मची हुई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को केवल एआरबी लगाया जा रहा है। जिसकी वजह से ऐसे मरीज परेशान हो रहे है जिनको श्वान के हमले से गहरे घाव हो जाते हैं, ऐसे मरीजों को प्राइवेट में 1200 से 1500 रुपए खर्च करके रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इन सब से अज्ञान हैं।

डॉक्टर्स की मानें तो मरीजों को डॉग बाइट के दौरान घाव के आसपास यह इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे इंफेक्शन आगे नहीं बढ़े और घाव जल्द भर जाए। हालांकि जेएएच समूह के हजार बिस्तर के अस्पताल के पीएसएम विभाग में मरीजों को यह इंजेक्शन लगाया जा रहा है, लेकिन जेएएच से अधिक मरीज स्वास्थ्य विभाग के जिला अस्पताल मुरार एवं सिविल अस्पताल हजीरा पहुंच रहे हैं और इन्हें जेएएच रेफर किया जाता है । अधिकतर मरीज प्राइवेट में इंजेक्शन लगवा रहे हैं, हालांकि यह इंजेक्शन मरीज को केवल एक ही बार लगाया जाता है, लेकिन सवाल यह है कि इतने लंबे समय बाद विभाग के आला अधिकारी इसकी उपलब्धता नहीं करा पाए।

गर्मी में चिड़चिड़े हो जाते हैं डॉग

गर्मी में कुत्तों के व्यवहार में बदलाव हो जाता है। गर्मी के मौसम में कुत्तों को पानी नहीं मिल पाता है, साथ ही इन्हें भोजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है। इसके कारण इनके शरीर के अंदर गर्मी काफी बढ़ जाती है। ऐसे में यह चिड़चिड़े हो जाते हैं और इंसानों पर हमला करना प्रारंभ कर देते हैं। डॉक्टर के मुताबिक डॉग काट लेता है तो उस जगह को अच्छी तरह धोएं और तत्काल विशेषज्ञ की सलाह लें जब भी डॉग काटे तो उस स्थान को साबुन और पानी से कम से कम 10 मिनट तक धोएं और एंटी सेप्टिक सॉल्यूशन लगाकर विशेषज्ञ की सलाह लें। शहरभर में विभिन्न जगह दिन के साथसाथ रात में भी यह शहरवासियों को निशाना बना रहे हैं।

निगम की लापरवाही भुगत रहा शहर

श्वान के बर्थ कंट्रोल पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम पर है, लेकिन इस विभाग की लापरवाही का खामियाजा छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भुगत रहे हैं। पालतू श्वान से ज्यादा आवारा श्वान अधिक लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। शहर में लगातार श्वान की जनसंख्या बढ़ रही है जबकि इनके नसबंदी की जिम्मेदारी इसी विभाग पर है, लेकिन यह विभाग इस कार्य में रुचि नहीं दिखाता है।