कैंसर मरीजों की उम्मीद पर चला फरमान का हथौड़ा
जबलपुर। प्रदेश का एक मात्र स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर पीड़ितों के पलंग छीनकर सेंट्रल लैब बनाई जा रही है। कैंसर मरीजों की उम्मीदों पर अफसर के फरमान का हथौडा भी चलना शुरू हो गया है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से लेकर डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के पास भी इसका कोई जबाव नहीं है कि आखिर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बिल्डिंग को छोड़कर स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में ही यह लैब क्यों बनाई जा रही है।
कैंसर इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने भी जताया था विरोध
बताया जाता है कि कैंसर इंस्टीट्यूट प्रबंधन ने भी यहां पर मरीजों की वेटिंग को देखते हुए इसका विरोध किया था। लेकिन डीन के सख्त आदेश के बाद अधीक्षक ने वार्ड को खाली कराना ही ठीक समझा।
लैब का विरोध, टेक्नीकल स्टाफ ने किया ट्रेनिंग से वॉक आउट
आउटसोर्स से सेंट्रल लैब निर्माण और संचालन को लेकर कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। सेंट्रल लैब के संचालन के लिए मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, पैथोलॉजी विभाग के एक-एक चिकित्सक को भोपाल में ट्रेनिंग दी गई है। इसके बाद तकनीकी अमले को ट्रेनिंग देना थी, जिसे लेकर कर्मचारियों ने विरोध दर्ज कराते हुए इससे वॉक आउट कर दिया।
रिक्शा लेकर जाना पड़ेगा सैंपल देने
मेडिकल कॉलेज कैंपस में स्थित स्टेट कैंसर की पहली मंजिल पर बनाई जा रही सेंट्रल लैब में अब मरीज व उनके परिजनों को सैंपल देने जाना पड़ा तो उन्हें आटो रिक्शा करना पड़ेगा। यह लैब अस्पताल से करीब 300 मीटर की दूरी पर है इतना ही नहीं मरीज को सैंपल देने के लिए दूसरी मंजिल तक जाना होगा। सैंपल के बाद इतनी ही मेहनत उसे अपनी रिपोर्ट उठाने के लिए करनी होगी।
डीन ही बता पाएंगी कहां करेंगे व्यवस्था : अधीक्षक
इस संबंध में जब स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की अधीक्षक डॉ. लक्ष्मी सिंगोतिया से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीजों को शिफ्ट करने के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। डीन ने तीसरे मंजिल पर नए वार्ड बनाने कहा है आगे इन मरीजों की व्यवस्था कहां करेंगे वे ही बता पाएंगी।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में मरीजों के वार्ड में लैब स्थापित करने हमने कोई आदेश नहीं दिये हैं। इसके संबंध में संभाग कमिश्नर ही बता पाएंगे। मो. सुलेमान ,एसीएस व पीएस चिकित्सा शिक्षा विभाग