बस के कंडम होने की जानकारी होती तो लोग उसमें सफर ही नहीं करते
ग्वालियर। जिस बस में 13 यात्री जलकर मर गए, वह 15 साल से अधिक पुरानी थी, इसलिए फिटनेस भी नहीं थी और बिना परमिट के संचालित हो रही थी। यात्रियों को अगर बस के कंडम होने की जानकारी होती, तो शायद वह उसमें सफर नहीं करते और उनकी जान बच जाती। लेकिन बस ऑपरेटर बस से संबंधित जानकारी यात्रियों को नहीं देना चाहते, क्योंकि ऐसा करने पर लोग बस में शायद ही बैठें। परिवहन विभाग ने सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के तहत वर्ष 2015- 16 में बस ऑपरेटरों को बस की विंड स्क्रीन पर बस का रजिस्ट्रेशन नंबर, फिटनेस की वैधता, परमिट कहां से कहां तक, वैधता और मॉडल कंडीशन आदि की जानकारी देने के आदेश जारी किए थे।
विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया था ताकि बसों में बैठने से पहले यात्रियों को इस बात की जानकारी मिल जाए कि वह जिस सवारी वाहन में सफर करने जा रहे हैं वह यात्रा करने लायक है या नहीं। बस संचालकों ने कुछ समय तक आदेश का पालन किया, मगर यात्रियों के बस में बैठने से झिझकने पर बस से बायोडाटा गायब हो गया है। परिवहन अधिकारियों ने भी अपने आदेश का पालन कराना जरूरी नहीं समझा। 13 लोगों के जिंदा जल जाने के बाद परिवहन अधिकारी नियमों का पालन नहीं करने वाली बसों पर कार्रवाई कर रहे हैं।
55 बसों की जांच हुई, एक बिना परमिट के जब्त की
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एचके सिंह के नेतृत्व में परिवहन उड़न दस्ते ने शुक्रवार को बिलौआ से गुजरने वाली यात्री बसों के दस्तावेजों की जांच की। दतिया जा रही बस क्रमांक एमपी 07 पी 8444 को रोककर दस्तावेज चेक किए तो पता चला कि बस के पास परमिट नहीं है। आरटीओ ने कंडक्टर से बिना परमिट बस चलाने को लेकर सवाल किया तो उसके पास कोई जवाब नहीं था। आरटीओ ने बस जब्त करने का आदेश दिया, लेकिन इससे पहले यात्रियों को दूसरी बस से रवाना किया गया। भितरवार जा रही बस पर फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था, जिस पर 5 हजार रुपए की चालानी कार्रवाई की गई। उड़नदस्ते ने दिन भर में 55 बसों के दस्तावेजों की जांच की।
55 बसों के दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें परमिट नहीं होने पर एक बस जब्त की है और फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं होने पर एक बस से 5 हजार रुपए जुर्माना वसूला है। एचके सिंह, आरटीओ
जिले में 244 बसें बिना फिटनेस के चल रहीं
जिले में 3 हजार से अधिक बसें परिवहन कार्यालय में रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 244 बसें बिना फिटनेस के संचालित हो रही हैं। परिवहन विभाग द्वारा फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है, इससे साफ है कि बसें पुरानी हैं और सड़क पर चलने लायक नहीं हैं।
केंद्रीय मोटरयान नियम का पालन नहीं करने वाली यात्री बसों पर प्रदेशभर में परिवहन और पुलिस विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। अरविंद सक्सेना, अपर परिवहन आयुक्त म.प्र.