कभी पिता-भाई को दी थी चुनौती, अब उनके बेटोें-भतीजे के सामने चुनावी समर में

परिवार वही , पीढ़ी नई... कई विधानसभा क्षेत्रों में दो पीढ़ियों के बीच रोचक मुकाबला

कभी पिता-भाई को दी थी चुनौती, अब उनके बेटोें-भतीजे के सामने चुनावी समर में

भोपाल। मध्य प्रदेश में कई विधानसभा सीटों पर अजब संयोग देखने को मिल रहा है। पड़ताल में इन सीटों पर रोचक तथ्य सामने आए हैं। कई जगह ऐसे लोग चुनाव मैदान में हैं, जिन्होंने विरोधी के रूप में कभी वर्तमान प्रत्याशी के पिता या भाई के सामने चुनाव लड़ा था। अब दूसरी पीढ़ी के सामने मैदान में हैं। ऐसा नहीं है कि किसी विशेष विधानसभा में परंपरागत राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पहली बार दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभुराम चौधरी सांची से भाजपा के मुदित शेजवार के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इससे पहले वह कई चुनाव मुदित के पिता और वरिष्ठ भाजपा नेता गौरीशंकर शेजवार के खिलाफ भी लड़ चुके हैं। इसी प्रकार विजयराघवगढ़ में सत्येंद्र पाठक के खिलाफ 1998 का चुनाव लड़ने वाली पद्मा शुक्ला ने 2018 का चुनाव सत्येंद्र के पुत्र संजय पाठक के खिलाफ लड़ा। सिरोंज से कांग्रेस उम्मीदवार रहीं मसर्रत शाहिद, शर्मा बंधुओं के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं। उन्होंने 2003 का चुनाव लक्ष्मीकांत शर्मा और 2018 का उमाकांत शर्मा के खिलाफ लड़ा। छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में कांग्रेस नेता कमलेश शाह, भाजपा के प्रेमनारायण ठाकुर और उनके पुत्र उत्तम ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।

भोजपुर

रायसेन की इस चर्चित सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर राजकुमार पटेल 1990 में पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के खिलाफ चुनाव लड़कर सुर्खियों में आए थे। अब 33 साल बाद पटेल फिर से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। लेकिन, इस बार मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री पटवा के भतीजे और पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा से है। इस सीट पर रोमांचक मुकाबले के कयास हैं।

नरसिंहपुर कसरावद

विधानसभा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल इस सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के लखन सिंह पटेल से है। लखन ने 2018 का विधानसभा चुनाव प्रहलाद के छोटे भाई जालम सिंह पटेल के खिलाफ लड़ा था।

सीहोर

इस सीट से 2008 में भाजपा के रमेश सक्सेना का मुकाबला कांग्रेस के सुदेश राय से था। इस बार सक्सेना के पुत्र शशांक, सुदेश राय के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। हालांकि, इस सीट पर दोनों ही प्रत्याशी अपनी पार्टियां छोड़ चुके हैं। कांग्रेस के साथ रहे राय अब भाजपा के साथ हैं और सक्सेना परिवार अब कांग्रेसी हो चुका है। पार्टियां बदलने के बाद मुकाबला प्रतिष्ठा का बन गया है।

भोपाल उत्तर

भाजपा उम्मीदवार अलोक शर्मा ने इस सीट पर 2008 का चुनाव कांग्रेस नेता आरिफ अकील के खिलाफ लड़ा था। इस बीच वे महापौर भी बने। अब इस चुनाव में वह आरिफ अकील के बेटे आतिफ के सामने चुनावी समर में हैं।

कसरावद विधानसभा

भाजपा प्रत्याशी आत्माराम पटेल ने 2008 में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के खिलाफ कसरावद से चुनाव लड़ा था। 2013 में उनके बेटे सचिन यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा, तब भी पटेल उनके खिलाफ खड़े थे। इस बार भी पटेल और सचिन यादव आमने-सामने हैं।