पेड़ पर गोंड वाद्ययंत्र, गैलेरी में दिखेगी मप्र सहित कई राज्यों की संस्कृति
जनजातीय संग्रहालय में सांस्कृतिक वैविध्य गैलेरी की जा रही तैयार
मप्र आदिवासी बोली एवं विकास अकादमी द्वारा जनजातीय संग्रहालय में 'सांस्कृतिक वैविध्य' गैलेरी तैयार की जा रही है। दो फ्लोर में बन रही इस गैलरी में मप्र, छग, राजस्थान आदि जगहों की संस्कृति को दिखाया जाएगा। गैलेरी के दूसरे फ्लोर पर खड़े होकर नीचे की तरफ देखने पर मप्र का नक्शा दिखेगा, जिसमें प्रदेश की जनजातियों की भौगोलिक स्थिति पता चलेगी। गैलेरी में ओडिशा के कलाकार जनजातीय संस्कृति को उकेर रहे हैं। ग्राउंड फ्लोर में लगी हुई दीवारों पर मप्र के पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जनजातीय जीवन पर आधारित कलाकृतियों को दर्शाया जाएगा। पेड़ पर दिखेंगे गोंड वाद्ययंत्र : गोंड जनजातीय को समेटे हुए विशालकाय पेड़ बनाया जा रहा है। इस पेड़ की खास बात यह है कि इसमें गोंड वाद्ययंत्र नजर आएंगे। इसके अलावा पेड़ पर लटकती पेंटिंग आकर्षण का केंद्र रहेगी, जिसे गोंड कलाकार बना रहे हैं। इसके जरिए वे अपनी कला प्रदर्शनी, रीति-रिवाज को दिखाएंगे।
ओडिशा के कलाकर कर रहे स्टोन कार्विंग
बरगद के इस पेड़ को ओडिशा के कलाकार तराशने का काम कर रहे हैं, क्योंकि ओडिशा के कलाकार स्टोन कार्विंग टेक्निक में निपुण होते हैं। आदिवासी परंपराओं में बरगद के वृक्ष को विशेष स्थान दिया है, इसलिए इस हॉल के सेंटर में बरगद का पेड़ डिजाइन कराया जा रहा है। यह वृक्ष पेपरमैशी, पाइप, जूट की रस्सी से तैयार किया जा रहा है। इस गैलेरी का काम एक साल में पूरा हो जाएगा। - अशोक मिश्रा, अध्यक्ष, जनजातीय संग्रहालय