70 चित्रों में दिखी आदिवासी महिलाओं की शारीरिक मेहनत, परिवेश, संस्कार की झलक
स्वराज भवन वीथिका में चित्रकार स्वाति एम.जैन की एकल चित्र प्रदर्शनी का शनिवार को चित्रकार शोभा घारे और इंटीरियर डिजाइनर रविशा मर्चेंट ने शुभारंभ किया। 18 दिसंबर तक चलने वाली प्रदर्शनी में स्वाति द्वारा बनाए गए 70 चित्र प्रदर्शित किए गए हैं, जिनमें आदिवासी महिलाओं की शारीरिक मेहनत, परिवेश, संस्कार, कष्ट और वात्सल्य की झलक देखने को मिलती है। इसके अलावा उन्होंने लक्ष्मी जी के वाहन उल्लू को जियोमैटिकल शेप में बनाया है, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्वाति ने बताया कि यह उनकी पहली सोलो एग्जीबिशन है। इसके पहले कई पेंटिंग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पुरस्कृत हो चुकी हैं। स्वाति चित्रकला में पीएचडी शोधार्थी हैं और अब तक उनकी 100 से अधिक ग्रुप एग्जीबिशन आयोजित की जा चुकी है। इस एग्जीबिशन में दर्शकों को राम मंदिर, राशियां, नंदी की पेंटिंग स्वाति की अपनी अलग स्टाइल में देखने को मिलेगी। एग्जीबिशन में ब्यूटी विद पेन सीरीज को बखूबी तरीके से पेश किया गया है।
जियोमैट्रिकल शेप में उल्लू
इस एग्जीबिशन में लक्ष्मी जी के वाहन कहे जाने वाले उल्लू की एक पेंटिंग प्रदर्शित की गई है। स्वाति बताती हैं कि यह पेंटिंग बेहद खास है। इस पेंटिंग को जियोमैट्रिकल शेप में बनाया गया है, जो दर्शकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षक कर रही हैं। इस पेंटिंग को बनाने में स्वाति को एक महीने से अधिक समय लगा।
प्रदर्शित की गई ब्यूटी विद पेन सीरीज
इस एग्जीबिशन में स्वाति ने जनजातीय महिलाओं के दर्द को चित्रित किया है, जिसे वे सुंदरता प्रदर्शित करने के लिए सहन करती हैं। भारी आभूषण और टेटू का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है, जो बहुत दर्दनाक प्रक्रिया है। इस सीरीज का नाम उन्होंने ब्यूटी विद पेन रखा है। इस शृंखला में बनावट के साथ पीले, हरे,लाल, नीले, नारंगी और काले जैसे बोल्ड रंगों का उपयोग किया है।
पेंटिंग में बनाया राम मंदिर
चित्रकार स्वाति ने इस एग्जीबिशन में एक्रेलिक कलर से राम मंदिर की बेहद मनमोहक पेंटिंग प्रदर्शित की है। स्वाति बताती हैं कि इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें 15 से 20 दिन का समय लगा। इस पेंटिंग में चटक रंगों को इस्तेमाल किया है। यह पेंटिंग एग्जीबिशन की थीम से अलग हट कर है।
पत्तियों से दिया नंदी को आकार
इस एग्जीबिशन में एक और पेंटिंग बेहद खास है, जिसे स्वाति ने नेचर से जोड़ते हुए बनाया है। उन्होंने पेंटिंग में नंदी को बनाया है, जिसके शरीर को पत्तियां बनाकर आकर दिया है। स्वाति बताती हैं कि यह पेंटिंग उन्होंने अपने स्टाइल में बनाई है।
पिछले 25 साल से कर रही चित्रकारी
मैं पिछले 25 सालों से चित्रकारी कर रही हूं। मैंने जो चित्र बनाए हैं उनकी मैंने रिसर्च भी की है। उन आदिवासी महिलाओं से मिलकर उनके जीवन के बारे में समझा। तब कहीं जाकर इन चित्रों को मैंने कैनवास पर एक्रेलिक कलर से उकेरा है। मेरी पीएचडी का टॉपिक भोपाल के जैन मंदिर हैं। मंदिरों में जो मूर्तियां रखी हुई हैं, जो पेंटिंग बनी हैं उस पर में रिसर्च करती हूं। -स्वाति एम. जैन, चित्रकार