सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में लैंगिक रूढ़िवादी शब्द प्रयोग नहीं होंगे

सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में लैंगिक रूढ़िवादी शब्द प्रयोग नहीं होंगे

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले लैंगिक रूढ़िवादी (जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों) पर रोक लगाने के लिए हैंडबुक जारी की है। हैंडबुक को बुधवार को जारी किया गया। बुक के बारे में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं। इन शब्दों के प्रयोग से कैसे बचा जा सकता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने हैंडबुक के बारे में कहा कि उसमें आपत्तिजनक और उसकी जगह इस्तेमाल करने वाले शब्द और वाक्य हैं। इनको कोर्ट में बहस और आदेश देने के समय प्रयोग किया जा सकता है। 30 पन्नों की है ये हैंडबुक: ये हैंडबुक 30 पन्नों की है। इस हैंडबुक को तीन महिला जजों की एक समिति ने तैयार किया है। इन जजों में जस्टिस प्रभा श्रीदेवन, जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल हैं। वहीं, इस समिति की अध्यक्षता कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की ने किया था।

वे शब्द जो बदले गए

  •  व्यभिचारिणी : विवाहेतर संबंध बनाने वाली महिला 
  • प्रेम संबंध : विवाह से बाहर संबंध
  • बाल वैश्या : जिस बच्चे-बच्ची की तस्करी की गई है 
  • रखैल : एक महिला, जिसके साथ एक पुरुष का विवाहेतर यौन संबंध है 
  • फब्तियां कसना : गलियों में किया जाने वाला यौन उत्पीड़न 
  • जबरन बलात्कार : बलात्कार 
  • देहव्यापार करने वाली : महिला 
  • वैश्या : यौन कर्मी
  • भारतीय महिला/पाश्चात्य महिला : महिला 
  • विवाह करने योग्य उम्र : एक महिला, जो विवाह के लिए जरूरी आयु की हो गई है।
  • उत्तेजित करने वाले कपड़े/ परिधान : कपड़े/परिधान 
  • पीड़ित या पीड़िता : यौन हिंसा प्रभावित 
  • ट्रांससेक्सुअल : ट्रांसजेंडर 
  • बिन ब्याही मां : मां