कस्बे से शहर का लुक नहीं ले पाया गढ़ा बाजार,बेतरतीब सब्जी मार्केट

कस्बे से शहर का लुक नहीं ले पाया गढ़ा बाजार,बेतरतीब सब्जी मार्केट

जबलपुर। शहर भले ही महानगरीय लुक की ओर तेजी से अग्रसर है मगर उपनगरीय इलाकों में एक गढ़ा ही ऐसा क्षेत्र बचा है जहां पर आज भी कस्बाई संस्कृति देखी जा सकती है। इसे शहरी स्वरूप देने में पार्षद से लेकर विधायक या सांसद या अधिकारी सभी फेल साबित हुए हैं। बढ़ती आबादी के साथ यहां की मेन रोड भी अब संकरी हो चुकी है जिसे चौड़ा करने का खयाल तक जिम्मेदारों को नहीं है। गढ़ा बाजार में जाकर देखा जाए तो यहां पर बना नगर निगम का संभागीय कार्यालय भवन खुद पूरी तरह से चौतरफा कब्जों के जाल में है। सब्जी बाजार मनमाने तरीके से जिसे जहां जगह मिले लग रहा है। इसका विस्तार अब रामलीला मैदान के अंत तक हो चुका है। व्यवस्थित सब्जी मंडी बनाने का कोई प्रस्ताव तक आज तक नहीं बनाया गया है। सब्जी सड़क किनारे बेचने वालों ने इतना विस्तार कर लिया है कि देवताल रोड में चिकनीकुआं तक और गढ़ा स्कूल की दीवार के किनारे से लेकर रामलीला मैदान तक दुकानें लगती हैं।

सड़क की चौड़ाई बढ़े तो मिले निजात

रोज लगने वाले जाम का हल निकालने के लिए रोड पर ठेलों को खड़ा होना बंद कराना होगा। इसके साथ ही यहां पर रोड को और चौड़ा करने की भी जरूरत है। इसके लिए कड़ाई के साथ मजबूत इच्छा शक्ति का होना भी जरूरी है। 1996-97 में इस तरह की इच्छाशक्ति तत्कालीन महापौर कल्याणी पाण्डेय ने दिखाई थी और यहां की सिंगल रोड को दुकानों के कब्जे हटाकर चौड़ा किया था मगर अब इस बात को भी 27 साल का समय हो चुका है और आबादी अब ज्यादा बढ़ चुकी है,लिहाजा यहां पर कम से कम 40 फीट की रोड जरूरी है।

उपलब्ध जगह में बन सकता है बहुमंजिला मार्केट

यदि नगर निगम और विधायक चाहें तो मिलकर यहां पर मल्टीस्टोरी मार्केट का प्लॉन यहां पर किया जा सकता है जहां किराना से लेकर सब्जी मार्केट,फल मार्केट व अन्य कई व्यवसाय जो कब्जा कर जगह घेरे हुए हैं स्थापित किए जा सकते हैं।

सुबह-शाम रोज लगता है जाम

गढ़ा बाजार जाते वक्त देवताल मोड़ से लेकर पंडा बाबा तक सुबह और शाम तक लगने वाले जाम में रोजाना सैकड़ों वाहन फंसते हैं। सड़क पर सब्जी या फलों,चाट आदि के ठेले लगे रहते हैं। इस पर इनके ग्राहकों की भीड़ और वाहन जाम लगाते हैं। यहां पर कभी भी अन्याक्रान्ति अमले को कार्रवाई करते नहीं देखा गया है।

शहर के अन्य उपनगरीय इलाके विकसित हो चुके हैं और वहां पर स्थित बाजारों को व्यवस्थित भी किया गया है मगर गढ़ा बाजार को चाहे नेता हों या अधिकारी सब भूल चुके हैं। रूप किशोर प्यासी,स्थानीय रहवासी।

संभागीय कार्यालय तक कब्जों में है,जो अन्याक्रान्ति विभाग के लिए शर्म की बात है।जहां मन चाहे सब्जी का बाजार लग जाता है,पार्किंग की कोई व्यवस्था ही नहीं है। आशीष जैन,स्थानीय रहवासी।

यदि व्यवस्थित मल्टीस्टोरी मार्केट सब्जी मंडी की जगह में बना दिया जाए तो यहां पर सभी व्यापार सिमट सकते हैं और व्यवस्थित बाजार भी बन सकता है , जरुरत इच्छाशक्ति की है। सुरेन्द्र वर्मा बाबा,स्थानीय रहवासी।

देवताल मोड़ से लेकर पंडा बाबा तक की सड़क को चौड़ा किया जाना बेहद जरूरी है,इसके लिए स्थानीय व्यापारियों से सहयोग लिया जा सकता है, तभी समस्या हल होगी। संतोष कुमार,स्थानीय रहवासी।