जीएसटी : कुछ मामलों में सप्लायर नहीं प्राप्तकर्ता को करना होता है कर भुगतान
इंदौर जीएसटी के अंतर्गत सामान्यतया सप्लायर को टैक्स वसूलकर सरकार को चुकाना होता है। लेकिन कुछ दशाओं में सप्लायर की बजाय प्राप्तकर्ता को ही सीधे कर का भुगतान करना होता है।
यह बात सीए कृष्णा गर्ग ने रिवर्स चार्ज के प्रावधान को लेकर टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसो. एवं सीए इंदौर शाखा द्वारा आयोजित सेमिनार में कही। उन्होंने बताया कि असंगठित क्षेत्र से खरीदे जाने वाले माल या ली जाने वाली सेवा पर सरकार को राजस्व का नुकसान न हो इसके लिए रिवर्स चार्ज के प्रावधान हैं। चूंकि इसमें माल या सेवा प्राप्तकर्ता को ही सप्लाई का मूल्यांकन करके, कर की गणना एवं कौनसा कर देना है, इसका निर्धारण करना होता है। कर की देयता होने के बावजूद कर का भुगतान नहीं करने या गलत भुगतान के कारण ऑडिट या अन्य जांच में दिक्कत आती है।
सर्विस लेने पर टैक्स- गुड्स की दशा में किसान से तेंदूपत्ता, सिल्क यार्न, तंबाकू पत्ता या काजू की खरीद पर खरीददार (प्राप्तकर्ता) को कर का भुगतान करना होगा। सीए कृष्णा के अनुसार इसी प्रकार सिक्योरिटी सर्विसेज, माल के परिवहन के लिए एजेंट से सर्विस लेने, एडवोकेट फीस आदि के तौर पर दिए गए पारिश्रमिक एवं कुछ अन्य सर्विसेस पर प्राप्तकर्ता को कर का भुगतान करना होता है। कर का भुगतान करके पात्रतानुसार इनपुट क्रेडिट लिया जा सकता है।
पेमेंट क्रेडिट से नहीं- रिवर्स चार्ज का पेमेंट क्रेडिट से नहीं किया जा सकता, भुगतान नकद में ही करना होता है। यदि कोई व्यापारी कम व्यापार होने के कारण जीएसटी में पंजीकृत नहीं है तो भी उसे धारा 24 के अनुसार रजिस्ट्रेशन लेकर भुगतान करना होगा।
दोहरा करारोपण- सीए शैलेंद्र सोलंकी ने बताया कि प्रदाता की सर्विस रिवर्स चार्ज में आने पर उसे कर मुक्त श्रेणी में माना जाता है, जिससे उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का नुकसान होता है एवं इसके कारण एक ही सर्विस पर दोहरे करारोपण की स्थिति निर्मित हो रही है। कार्यक्रम में सीए अभय शर्मा, मौसम राठी, पीडी नागर, सुनील खंडेलवाल, पलकेश असावा, उमेश गोयल सहित बड़ी संख्या में कर सलाहकार उपस्थित थे। संचालन सीए जेपी सराफ ने किया।