जीआरएमसी : महिला विज्ञानी डॉक्टरों ने प्रबंधन को नहीं भेजा जवाब, बढ़ेगी परेशानी
ग्वालियर। जीआरएमसी में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाली तीन महिला विज्ञानी डॉक्टरों की परेशानी आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है। पहले तो इन्होंने जाली दस्तावेजों पर नौकरी हासिल की अब यह प्रबंधन द्वारा मांगे गए जवाब भी नहीं दे रही हैं। यह मामला तूल पकड़ने के बाद जीआरएमसी प्रबंधन ने तीनों महिला डॉक्टर ज्योति जैन, शुभ्रा सिंह एवं डॉक्टर मीनू जैन को नोटिस जारी कर एक महीने के अंदर जवाब मांगा था, लेकिन समय सीमा निकलने के बाद भी प्रबंधन को इन डॉक्टरों ने जवाब नहीं दिया है।
इसी की वजह से प्रबंधन चाहे तो अब इन पर एकतरफा कार्रवाई कर सकता है। वहीं कॉलेज में यह चर्चा भी इन दिनों जोरों पर चल रही है कि प्रबंधन के अधिकारी खुद अन्य घोटालों की तरह इस मामले को दबाने की तैयारी में जुटे हुए हैं, जिससे चहेतों पर कार्रवाई न हो। इसके साथ ही कॉलेज प्रबंधन द्वारा इस मामले में जांच कराई जा रही थी, यह जांच भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, जबकि इस मामले को करीब दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है।
किसने, कौन से दस्तावेज लगाए फर्जी
डॉ. विकास जैन की पत्नी ज्योति जैन ने ऐथिक ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट नाम की संस्था का पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया। जब जानकारी ली तो पता चला कि इस संस्थान को इस तरह की डिग्री या डिप्लोमा देने की ही पात्रता नहीं है। इसी प्रकार डॉक्टर शुभ्रासिंह ने सर्वा नामक संस्था का पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया है, जबकि इस प्रकार का कोई संस्थान ही नहीं है। इसके साथ ही डॉ ज्योति जैन ने वीआईएसएम संस्थान में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में 2015 से 2019 तक अध्यापन कार्य का अनुभव प्रमाण-पत्र लगाया जबकि उन्होंने कॉलेज में पढ़ाया ही नहीं। मीनू जैन के कागजात में भी गड़बड़ी पाई गई।
क्या है डॉक्टरों की नौकरी का मामला
जीआर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने ग्रुप बी, सी तथा डी के एक-एक पद के लिए 17 मई 2021 को भर्ती का विज्ञापन जारी किया था, जिसमें कई आवेदकों ने आवेदन किए, लेकिन जिन डॉक्टरों का चयन हुआ उसके चयन पर बाकी उम्मीदवारों ने सवाल उठाते हुए संभागायुक्त से दिसंबर 2022 में शिकायत की, तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। भर्ती प्रक्रिया में दस्तावेजों की जांच के लिए कॉलेज प्रशासन ने डॉ. केपी रंजन की अध्यक्षता में एक स्क्रूटनी कमेटी गठित की। कमेटी में डॉ. मनोज बंसल व डॉ. गजेन्द्र पाल सिंह भी सदस्य रहे।
जेयू के पूर्व ईसी मेंबर की शिकायत पर खुला मामला
जीआरएमसी के इस फर्जीवाड़े का खुलासा जेयू के पूर्व कार्यपरिषद सदस्य की शिकायत पर खुलासा हुआ। पूर्व कार्यपरिषद सदस्य की पत्नी ने इस पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन चयन समिति ने फर्जी दस्तावेज वालों को नौकरी थमा दी। इसके बाद जब शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस मामले की जांच की तब इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और तीनों डॉक्टरों के दस्तावेज जाली साबित हुए।
तीनों वैज्ञानिक डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन जवाब नहीं आया है, समय सीमा खत्म हो गई। अब आगे की कार्रवाई की जाएगी। डॉ. अक्षय निगम,डीन जीआरएमसी