देश में पहली बार टाइगर के हेल्दी रहने पर होगी रिसर्च

देश में पहली बार टाइगर के हेल्दी रहने पर होगी रिसर्च

जबलपुर।  पार्कों में स्वछंद विचरण करने वाले हेल्दी टाइगर में कौन से बैक्टीरिया व वायरस हैं? इनकी खोज की जाएगी। देश में पहली बार होने जा रही इस रिसर्च को नानाजी देशमुख वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत संचालित होने वाले स्कूल आॅफ वाइल्ड लाइफ फारेंसिक एडं हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच) के एक्सपर्ट करेंगे। 

दो साल में पूरी करनी होगी रिसर्च

बैक्टीरियल एंड वायरस मेटाजोनॉमिक्स इन टाइगर स्केट्स आॅफ एमपी प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेटीगेटर एवं असि. प्रोफेसर डॉ. काजल जाधव ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग से स्वीकृति मिल गई है। प्रोजेक्ट में 7 नेशनल पार्क और 3 जू से बाघों के फीकल (मल) सैंपल लेंगे, इन सैंपलों से हम बाघों में नए बैक्टीरिया एवं वायरस को खोजेंगे। अभी बाघों में बैक्टीरिया जनित बीमारियों में लेप्टोस्पायरा, टीबी, एंथ्रेक्स, कैनाइन डिस्टेंपर, हिमोरेजिक फीवर, टिक फीवर व वायरस में फैलाइन पार्वो, फैलाइन पेलिका, पेनिया वायरस की जानकारी है।

एक टाइगर रिजर्व के 20 बाघों का लेंगे सैंपल

डॉ. जाधव ने बताया, एक टाइगर रिजर्व से हम 20 बाघों के फीकल सैंपल लेंगे। इन सभी सैंपलों को पूल (मिक्स) कर एक टाइगर रिजर्व का एक सैंपल बनाएंगे। रिसर्च में हम कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना, संजय, रातपानी टाइगर रिजर्व व ग्वालियर, इंदौर के साथ वन विहार भोपाल से भी बाघों के सैंपल लेंगे। रिसर्च टीम में डॉ. आरबी सिंह, डॉ. तृप्ति जैन, डॉ. ब्रजेश सिंह को शामिल किया गया है।

वन विभाग से इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति मिल गई है। साथ ही 9 लाख रुपए का बजट भी रिलीज कर दिया गया है। जल्द ही यहां के एक्सपर्ट इस पर काम शुरू कर देंगे। - डॉ. शोभा जावरे निदेशक, एसडब्ल्यूएफएच, जबलपुर

विवि. के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट बाघों के संवर्धन की दिशा में अनुसंधान का कार्य कर रहे हैं। निश्चित ही इस प्रोजेक्ट से निकट भविष्य में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। - डॉ. एसपी तिवारी कुलपति, वीयू, जबलपुर