10 सालों में आबाद नहीं कर पाए मछली मार्केट,ग्राहक से लेकर व्यापारी परेशान
जबलपुर। मछली विक्रेताओं को सर्वसुविधायुक्त मार्केट देने की घोषणा नगर निगम 10 साल बाद भी पूरी नहीं कर पाया है। गुरंदी बाजार में इसके लिए 1 करोड़ 70 लाख रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं,मगर यह मछली व्यापारियों के लिए कोई काम नहीं आ रहा है। इसके लिए काम 2013 में चालू किया गया था। इसके निर्माण में बरसों लग गए जैसे- तैसे यह बनकर तैयार हुआ तो अब तक यह मार्केट आबाद ही नहीं हुआ है। दरअसल मछली मार्केट बनाने का उद्देश्य था कि कहीं भी खुले में मांस- मछली का विक्रय न किया जाए। इसलिए गुरंदी में एक सर्वसुविधायुक्त मछली मार्केट का निर्माण कराया गया लेकिन अभी तक मछली बाजार लगना शुरू ही नहीं हुआ। अधूरा निर्माण बताकर कई साल गुजरते जा रहे हैं।
दूसरे शहरों में शुरू हैं इस तरह के मार्केट
मांस-मछली का खुले में विक्रय रोकने अन्य कई शहरों में इस तरह के मार्केट न केवल बन चुके हैं बल्कि तैयार होकर प्रारंभ भी हो चुके हैं। प्रदेश के सभी महानगरों में ये मार्केट अपने उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं,बस जबलपुर के जिम्मेदार ही इस दिशा में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।
गोदाम बनकर रह गया
अब इस मार्केट का उपयोग यहां के अन्य व्यापारी गोदाम के रूप में कर रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी यहां झांकने तक नहीं जा रहे हैं और उन्हें पता ही नहीं है कि इस मार्केट का अन्य उपयोग क्या किया जा रहा है। जरूरतमंद मछली विक्रेताओं को चाहने के बाद भी यहां जगह नहीं मिल पा रही है।
खुले में बिक रहा मांस-मछली
पूरे प्रदेश में खुले में मांस-मछली का विक्रय प्रतिबंधित है मगर गुरंदी इस नियम से परे लगती है,यहां पर बाकायदा खुले में रोड किनारे दर्जनों दुकानें सजी हैं जहां मांस-मछली का खुले में विक्रय किया जाता है। खुले में इनके विक्रय को लेकर कई बार आंदोलन हो चुके हैं, प्रशासन भी गाइड लाइन जारी कर चुका है।
जर्जर इमारत में व्यापार
भरती पुर में बने इस नए मछली मार्केट के चालू न कराने के चलते मछली व्यापारी गुरंदी में एक बेहद पुरानी इमारत के साए में व्यापार करते हैं जहां की छत ने प्लास्टर छोड़ना बरसों पहले चालू कर दिया था। ये छत कब गिर जाए कोई भरोसा नहीं।
मछली मार्केट की जानकारी लेकर जल्द इसे प्रारंभ करवाया जाएगा। जो निर्माण जिस उद्देश्य से हुआ है उसे उसी कार्य के लिए उपयोग होना चाहिए। जगत बहादुर सिंह अन्नू,महापौर।