तंग गलियों में पटाखा गोदाम, अनहोनी हुई तो फायर ब्रिगेड तक न पहुंच पाएगी
जबलपुर। हरदा में गत दिवस हुए हादसे की चर्चा पूरे प्रदेश सहित देश में होती रही। इसे लेकर पूरे प्रदेश के शहरों में प्रशासन ने पटाखा फैक्ट्रियों, थोक व फुटकर विक्रेताओं की जांच की रस्म भी शुरू कर दी है। शहर के सबसे सघन और व्यवसायिक रहवासी इलाके गलगला व इसके आसपास भी दर्जनों ऐसे मकान हैं जिन्हें पटाखों के गोदाम के रूप में उपयोग किया जा रहा है। ये ऐसी तंग गलियों में स्थित हैं जहां अनहोनी होने पर फायर ब्रिगेड के वाहन तक नहीं पहुंच पाएंगे,ऐसे में यदि कभी शार्ट सर्किट जैसी मामूली वजहों से भी कोई हादसा हुआ तो हालात कितने भयानक होंगे इसकी कल्पना की जा सकती है।
शहर के कई इलाकों में गुपचुप रूप से घरों में बारूद का अवैध भंडारण कर पटाखे निर्माण का काम चल रहा है। दर्जनों इलाके हैं जहां की आबादी बारूद के ढेर पर बैठी है। अवैध पटाखा गोदामों व दुकानों पर प्रशासन का कोई अंकुश नहीं है। पटाखा फैक्ट्रियों का संचालन भी नियमों को दरकिनार कर हो रहा है। इसका उदाहरण एक बात से ही समझा जा सकता है कि नए फायर सेफ्टी एवं एक्सप्लोसिव एक्ट 16 दिसंबर 2022 के नियमों के अनुसार एक भी पटाखा व्यापारी ने नगरीय निकाय को जांच के लिए आवेदन नहीं दिया है। इसके बावजूद धड़ल्ले पटाखा फैक्ट्रियों,गोदाम से लेकर दुकानें चल रही हैं।
ये इलाके बारूद के ढेर पर
शहर में गुरंदी, गलगला, कोतवाली, गोहलपुर सहित कुछ क्षेत्रों में पटाखों का अवैध भंडारण होता है। यह क्षेत्र पहले अंचल में पटाखों का मुख्य केन्द्र थे। प्रशासन ने कठौंदा में नए पटाखा बाजार को आकार दिया है लेकिन तंग गलियों वाले पुराने क्षेत्रों में पटाखा का कारोबार अब तक समाप्त नहीं किया गया है। सघन बसाहट वाले गुरंदी,गलगला क्षेत्रों में पटाखा बिक्री के लाइसेंस की आड़ में कारोबारियों ने भारी मात्रा में पटाखों का भंडारण कर रखा है। गोहलपुर सहित शहर के कुछ बस्ती वाले इलाकों में घर-घर में पटाखा निर्माण का अवैध कामकाज चल रहा है। इनमें हादसों की स्थिति में फायर ब्रिगेड तक पहुंचने का रास्ता नहीं है।
याद आया गढ़ा रामलीला मैदान का हादसा
हरदा के हादसे के हादसे के बाद शहर में गढ़ा रामलीला मैदान में लगे पटाखा बाजार का वो हादसा याद किया गया जो दीपावली 2009 में हुआ था। इससे पूरा इलाका दहल गया था और घंटों तक इसके धमाके गूंजते रहे। हर तरफ धुंआ और आग की लपटें नजर आ रही थीं।