होनहार छात्र को फीस, दिव्यांग को स्कूटी मिलने से चेहरे पर लौटी खुशी
इंदौर। कलेक्टर कार्यालय में हुई जनसुनवाई में कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी के समक्ष श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय सांवेर रोड में पढ़ने वाला एक होनहार छात्र सुयश सतरावला आया। उसने बताया मैं हमेशा 90 प्रतिशत या इससे अधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण रहा हूं। कोरोना के कारण मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। मैं फीस नहीं भर पाया। कॉलेज ने अब मेरी मार्कशीट रोक ली है। कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने समस्या को सुनकर निराकरण के निर्देश दिए और फीस जमा करने के लिए रेडक्रॉस ने 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की।
इसी तरह जनसुनवाई में आए एक दिव्यांग विजयनगर निवासी राजेश पिता मदनलाल को स्कूटी भी देने के निर्देश कलेक्टर ने दिए। जनसुनवाई में पहुंचे रमेश सेन को आवास शिफ्ट किये जाने के आवेदन का त्वरित निराकरण हुआ। इसी तरह गुंजा को भी प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्त भरने में मदद करने के निर्देश दिए गए। जनसुनवाई में मंगलवार को बड़ी संख्या में नागरिकों ने अपनी समस्याएं अधिकारियों के समक्ष रखी। इनका मौके पर ही यथासंभव निराकरण किया गया। जनसुनवाई में अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर और अजय देव शर्मा सहित अन्य अधिकारियों ने नागरिकों की समस्याओं को सुना।
बुजुर्ग की पीड़ा- दस बार दे चुका आवेदन, पर नहीं हुई सुनवाई
मंगलवार को पुलिस की जनसुनवाई में 21 आवेदन आए। जनसुनवाई में आम जनता की समस्या का निराकरण किया जाता है, लेकिन मैं दस बार आ चुका हूं, पर मेरी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है। यह कहना है 60 वर्षीय गोकुलसिंह पिता हरिकिशन राठौर निवासी पंचडेरिया का। उन्होंने बताया कि बालकृष्ण खुद को सीएम का पीए बताकर कुटीर के नाम से 50 हजार लेकर फरार हो गया है। पिछले 18 महीने से थाने और पुलिस के चक्कर काट रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अभी तक 10 बार जनसुनवाई में आवेदन दे चुका हूं, लेकिन यहां भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
निष्पक्ष जांच हो
अशोकनगर के राजाराम बेटे अंकित के मामले में निष्पक्ष जांच के लिए जनसुनवाई में पहुंचे। बेबस पिता राजाराम ने बताया कि उनका बेटा विजयनगर स्थित मान्या गर्ल्स हॉस्टल में खाना बनाने का काम करता था। 19 दिसंबर 2022 को हॉस्टल में मरा हुआ मिला था। उसकी हत्या हुई या उसे किसी ने आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया मैं नहीं जानता हूं। बस मामले की निष्पक्ष जांच हो। इसके लिए मैं थाने के चक्कर काट रहा हूं। वहां सुनवाई नहीं हो रही, इसलिए यहां आया हूं।