मंदी की आशंका ! जुलाई में लगातार तीसरे माह चीन के निर्यात में गिरावट
नई दिल्ली। दुनिया पर एक बार फिर मंदी के बादल मंडराने लगे हैं। यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी जर्मनी के इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में गिरावट आई है। साथ ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन के निर्यात में भी फिर गिरावट आई है। यह चीन में जुलाई के महीने में तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट है। चीन के कस्टम विभाग ने मंगलवार को निर्यात के आंकड़े जारी किए। आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में चीन का आयात भी पिछले साल के मुकाबले 12.4 % गिरा है। इससे साफ है कि देश की घरेलू मांग भी सुस्त पड़ गई है। इकोनॉमी को दुरुस्त करने का दबाव : ग्लोबल डिमांड के सुस्त पड़ने से चीन का निर्यात गिरा है। इससे चीन पर इकोनॉमी में फिर जान फूंकने के लिए दबाव बढ़ गया है। जून में चीन का निर्यात पिछले साल के मुकाबले 14.5% गिरा था, जो फरवरी 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट थी। चीन में लगातार तीसरे महीने निर्यात में गिरावट आई है। जून की तुलना में जुलाई में देश का एक्सपोर्ट 0.9 % गिरा है।
ग्लोबल डिमांड में सुस्ती के संकेत
आने वाले महीनों में चीन के निर्यात में और गिरावट की आशंका है। वजह यह है कि ग्लोबल डिमांड में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। खासकर विकसित देशों में लोग ज्यादा खर्च नहीं कर रहे हैं। इससे इस साल के आखिर में मंदी की आशंका भी तेजी हो गई है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह बेहद मामूली हो सकती है। इस साल के पहले 7 माह में चीन का निर्यात पिछले साल की तुलना में 5% की गिरावट आई है।
क्यों गिर रहा है एक्सपोर्ट
पिछले साल अक्टूबर से चीन के निर्यात में लगातार कमी आ रही है। महंगाई और बढ़ते इंटरेस्ट रेट से ग्लोबल डिमांड पर असर पड़ा है। इससे चीन में डिफ्लेशन के संकेत दिख रहे हैं। इससे इस बात की आशंका बढ़ रही है कि चीन भी जापान की तरह स्टैगनेशन के लंबे दौर में फंस सकता है।
अमेरिका में फिर उठा बैंकिंग संकट का जिन्न
अमेरिका में बैंकिंग संकट फिर से सिर उठा सकता है। मूडीज ने देश के छह बड़े बैंकों की क्रेडिट रेटिंग्स को अंडर रिव्यू रखा है। इनकी रेटिंग डाउनग्रेड की जा सकती है। इनमें बैंक ऑफ न्यूयॉर्क मेलन , स्टेट स्ट्रीट और नॉर्दर्न ट्रस्ट जैसे जाने- माने बैंक शामिल हैं।
जर्मनी के ऑटोमोटिव सेक्टर में 3.5 प्रतिशत की गिरावट
यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी जर्मनी में जून में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में 1.5 प्रतिशत की गिरावट आई। यह अनुमान से कहीं ज्यादा है। सबसे ज्यादा 3.5 प्रतिशत की गिरावट ऑटोमोटिव सेक्टर में रही। इससे एक बार फिर जर्मनी के मंदी में फंसने की आशंका तेजी हो गई है। जर्मनी हाल में मंदी के दौर से उबरा है। अप्रैल से जून के बीच देश की जीडीपी पिछले साल के मुकाबले फ्लैट रही। लेकिन हाल में आंकड़ों से लग रहा है कि देश की इकोनॉमी में आया मामूली सुधार ज्यादा समय तक चलने वाला नहीं है। सबसे ज्यादा मार ऑटो सेक्टर पर पड़ी है। यूरोप की सबसे बड़ी कार कंपनी फॉक्सवैगन को चीन में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी का सबसे बड़ा मार्केट चीन है, लेकिन चीन में उसकी डिलीवरी में पहली तिमाही में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।