पिता ने नाक पर कपड़ा बांध बचाई थी हजारों रेलवे यात्रियों की जान, हम उन्हें हजारों लाशों में ढूंढते रहे

गैस ट्रेजडी पर बनी ‘द रेलवे मैन’ रिलीज, अनसंग हीरो दस्तगीर के बेटे ने सुनाई दास्तां

पिता ने नाक पर कपड़ा बांध बचाई थी हजारों रेलवे यात्रियों की जान, हम उन्हें हजारों लाशों में ढूंढते रहे

भोपाल। गैस त्रासदी के समय भोपाल स्टेशन पर ड्यूटी कर रहे असिस्टेंट स्टेशन मास्टर गुलाम दस्तगीर के बेटे शादाब दस्तगीर ने दावा किया कि ओटीटी पर फिल्म ‘द रेलवे मैन: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ भोपाल 1984’ में केके मेनन का किरदार, उनके पिता गुलाम दस्तगीर पर ही आधारित है। उस समय के हालात पर ‘पीपुल्स समाचार’ से बात करते हुए शादाब ने बताया कि घर आने के बाद परिवार को पिता की चिंता होने लगी थी। मैं अपनी साइकिल से स्टेशन की ओर चला गया। मौजूदा भारत टॉकीज पुल से मैं एक नंबर प्लेटफॉर्म की ओर चल पड़ा। रास्ते के हालात देखकर मेरा कलेजा मुंह को आ गया। शादाब का कहना है कि पूरी फिल्म उनके पिता के किरदार पर आधारित है। इसके बावजूद फिल्म में उन्हें क्रेडिट नहीं दिया गया, जो कि गलत है। हमने फिल्म निर्माता कंपनी को नोटिस जारी किया है।

पिता को नहीं ढूंढ पाया:

जैसे-तैसे मैं पापा के कैबिन पर पहुंचा, तो वहां एक कर्मचारी मिला। उनसे पापा के बारे में पूछा तो बताया कि वे बेहोश हो गए थे, एंबुलेंस से उन्हें हमीदिया अस्पताल भेजा दिया। इसके बाद मैं साइकिल से ही हमीदिया पहुंचा, तो वहां का मंजर देख मेरे होश उड़ गए। हर जगह या तो लाश पड़ी थी या तड़पते मरीज। इतने लोगों के बीच अपने पिता को ढूंढ पाना नामुमकिन था, तो मैं निराश होकर घर लौट आया। हालांकि, सुबह पिताजी बदहवास हालत में घर पहुंचे।

बिना सिग्नल ट्रेन आगे बढ़ाई

शादाब ने बताया कि कुछ दिनों के बाद ठीक होने पर पिताजी ने उस रात का मंजर सुनाया। उस रात स्टेशन पर भोपाल गोरखपुर ट्रेन खड़ी थी। अचानक स्टेशन पर धुआं छाने लगा और लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। पिताजी ने ट्रेन को समय से पहले स्टेशन से रवाना करने का निर्णय लिया और कर्मचारी से सिग्नल देने को कहा। लेकिन, सिग्नलमैन की जान चली गई थी। ऐसे में पिताजी दौड़कर लोको पायलट के पास पहुंचे। पायलट ने कहा कि वो बिना सिग्नल के ट्रेन नहीं बढ़ा सकता, तो पिताजी ने हाथ से इंडेंट लिखकर दिया। इसके बाद वे दौड़कर ट्रेन के सबसे पीछे गार्ड रूम में पहुंचे और उसे भी इंडेंट दिया। गार्ड ने कहा कि बिना सिग्नल ट्रेन आगे बढ़ाने से दुर्घटना की आशंका होगी। इस पर पिताजी ने कहा कि यहां रहोगे, तो हजारों यात्री मारे जाएंगे। उन्होंने अपनी रिस्क पर ट्रेन को आगे बढ़ाकर यात्रियों की जान बचाई।