एमएसपी से मूंग, उड़द बेचने पर किसानों को प्रति क्विंटल 1200 रुपए का घाटा
जबलपुर। ग्रीष्मकालीन फसल मूंग और उड़द के सरकारी मूल्य पर बेचने के लिए किसानों में उत्साह नजर नहीं आ रहा है। वर्तमान में सिर्फ 5 हजार किसानों ने मूंग और उड़द बेची है। वैसे 31 जुलाई तक जिले के 39 केन्द्रों पर खरीदी होगी। अनुमान है कि 30 फीसदी से अधिक किसानों ने उपार्जन में रुचि नहीं दिखाई है। वहीं बाहर व्यापारियों से अच्छे रेट्स मिलने पर खरीदी का रुझान दिख रहा है। गौरतलब है कि जिले में 25 हजार मीट्रिक टन ग्रीष्मकालीन फसलों की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। इसके मुकाबले जून से 21 जुलाई तक सिर्फ डेढ़ लाख क्विंटल ही मूंग और उड़द का उपार्जन हो पाया है।
19 हजार का पंजीयन
जिले में 19 हजार 400 किसानों ने पंजीयन कराया था। हालांकि सिर्फ 5 हजार किसानों से डेढ़ लाख क्विंटल ही खरीदी हो पाई है। जबकि सरकारी खरीदी का लक्ष्य 25 हजार मीट्रिक टन का है। पिछले वर्ष 20 हजार मीट्रिक टन खरीदी हुई थी।
एमएसपी पर खरीदी नहीं
केन्द्र ने एमएसपी में वृद्धि की है। वहीं राज्य सरकार पुराने समर्थन मूल्य 7200 रुपए और उड़द 6950 रुपए क्विंटल खरीदी कर रही है। वैसे 7 जून को कैबिनेट ने मूंग एमएसपी में 803 और उड़द में 350 रुपए क्विंटल की वृद्धि की है। ऐसे में सरकारी खरीद से किसानों को प्रति क्विंटल 1 हजार से 12सौ रुपए क्विंटल का घाटा हो रहा है।
समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदी के लिए जिले में 39 केन्द्र बनाए गए हैं। अभी तक 5 हजार किसानों ने उपार्जन किया है। 31 जुलाई तक 25 हजार मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। -आशीष शुक्ला, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी
किसानों से सरकारी खरीदी पर ढाई सौ रुपए प्रति क्विंटल सर्वेयर को देने पड़ रहे हैं। वहीं स्लॉट बुकिंग में भी 50 रुपए फीस लग रही है। इस घाटे से बचने किसान व्यापारियों को फसलें बेच रहे हैं। -केके अग्रवाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारत कृषक समाज