निजी कारोबारियों से सरसों की खरीद पर किसानों का पंगा, किया हंगामा
ग्वालियर। गेहूं और सरसों की खरीद को लेकर निजी कारोबारियों और किसानों के बीच भाव को लेकर पंगा होना शुरू हो गया है। बुधवार को नारायण विहार कृषि उपज मंडी में सरसों बेचने पहुंचे किसानों और कारोबारियों के बीच विवाद हो गया। कारण यह था कि किसान समर्थन मूल्य मांग रहे थे जबकि कारोबारी अपने भाव से सरसों खरीदना चाह रहे थे। रविवार को सरसों की बोली 5200 रुपए प्रति क्विंटल लगी थी जबकि बुधवार को यही बोली 4100 रुपए से शुरू हुई, इसी बात को लेकर किसानों में नाराजगी है और हो हल्ला शुरू हो गया। नाराज किसानों ने मंडी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
किसानों का कहना था कि दो रोज पहले जब भाव 5200 रुपए प्रति क्विंटल दिया गया तो आज 4100 रुपए प्रति क्विंटल क्यों? अगर मंडी प्रशासन और निजी कारोबारियों की सांठगांठ का यही रवैया है तो हम सभी किसान अपनी उपज लेकर वापस घर चले जाते हैं। किसानों की नाराजगी भांपकर मंडी अधिकारी मौके पर पहुंचे और बातचीत शुरू की। बाद में जब सबकुछ तय हो गया तो बोली 4900 रुपए प्रति क्विंटल से लगने पर नाराज किसान शांत हो गए। बोली शुरू होने के बाद 5050 तक पहुंची।
कम भाव में खरीदकर मोटे दाम पर बेचते हैं सरसों
ग्वालियर अंचल में सरसों का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है और किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंचने लगा है, इसलिए निजी लाइसेंसी बिना समर्थन मूल्य दिए उपज खरीदने में जुटे हैं और किसान को सीधे चपत लगा रहे हैं। भारतीय किसान संघ के नेता नमोनारायण दीक्षित ने किसानों को सलाह दी है कि थोड़ा सब्र करें समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने पर ही उपज को मंडी ले जाएं, ताकि सरकारी समर्थन मूल्य पर उसे बेचा जा सके।
समर्थन मूल्य पर खरीद 26 से
सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 और 125 रुपए बोनस घोषित किया है। दोनों को मिलाकर एक क्वंटल गेहूं पर किसान को 2400 रुपए का भुगतान किया जाएगा। गेहूं की खरीद 29 मार्च से 44 खरीद केन्द्रों पर होगी। जबकि सरसों की खरीद 26 मार्च से होना है। इसका समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। सरसों के संग्रहण के लिए आठ खरीद केन्द्र और जरुरत के हिसाब से वेयरहाउस नियत किए गए हैं।
सरसों का दाना देखकर लगा रहे हैं बोली
कारोबारियों का कहना है कि हम किसानों की उपज देखकर बोली लगा रहे हैं। दो रोज पहले तक सरसों का दाना अच्छा था इसलिए बोली 5200 रुपए प्रति क्विंटल लगाई। बुधवार को आया दाना हल्का था इसलिए बोली कम लगी है। मंडी प्रबंधकों का कहना था कि किसान उपज बेचने के लिए स्वतंत्र है। अगर उसे भाव अच्छा मिले तो बेचें अन्यथा सरकारी खरीद होने का इंतजार करें। दीनारपुर मंडी में करीब 175 लाइसेंसी हैं।