किसान जमीन देने को तैयार नहीं, चंबल एक्सप्रेस-वे का बदलेगा रूट

पांच वर्ष और पिछड़ने से प्रोजेक्ट की लागत हो सकती है 17 सौ करोड़, इस बार कम भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा

किसान जमीन देने को तैयार नहीं, चंबल एक्सप्रेस-वे का बदलेगा रूट

भोपाल। चंबल एक्सप्रेस-वे का निर्माण पांच वर्ष और पिछड़ सकता है। दरअसल किसानों के विरोध के चलते अब नए सिरे से सर्वे कराकर, डीपीआर तैयार की जा रही है। एक्सप्रेस-वे की जद में कम किसानों की जमीन आए, इसके देखते हुए सर्वे और डीपीआर तैयार की जाती है। इसके चलते 12 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 17 हजार करोड़ रुपए तक हो सकती है। प्रिोजेक्ट कॉस्ट भी बढ़ेगी। एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया ने टेंडर भी जारी कर दिया था। हालांकि एनएचएआई ने इस प्रस्ताव को निरस्त नहीं किया है। शिवराज सरकार ने ग्वालियर- चंबल संभाग में औद्योगिक कॉरिडोर बनाने और इस क्षेत्र को राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सीधे जोड़ने के लिए चंबल एक्सप्रेस-वे की घोषणा वर्ष 2017 में की थी। सर्वे एमपीआरडीसी ने किया। इसके बाद इस प्रोजेक्ट को भारत माला प्रोजेक्ट में शामिल किया गया, जिसमें राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण करना था और केन्द्र सरकार को इस जमीन पर हाइवे बनाना था। किसान प्रशांत गूर्जर का कहना है कि अगर हम हट जाएंगे तो हमारे बच्चे कहां जाएंगे। जितना मुआवजा मिल रहा है, उतने में यहां जमीन मिलना मुश्किल है।

पुरानी डीपीआर निरस्त नहीं की

एक्सप्रेस-वे में मध्य प्रदेश की कुल 27 सौ हेक्टेयर जमीन आ रही है। इसमें मुरैना, श्योपुर और भिंड जिले के सौ से अधिक किसानों की 2200 हेक्टेयर जमीन और 500 हेक्टेयर जमीन सरकारी है। किसानों को जमीन के बदले जमीन देने का सरकार ने वादा किया, लेकिन उसके लिए भी किसान तैयार नहीं हो रहे हैं। इस प्रोजेक्ट को न तो अभी तक निरस्त किया गया है और न ही पुरानी डीपीआर निरस्त की है। तीनों जिलों के कलेक्टर को इस नए रूट पर सर्वे करना है।

तीन राज्यों को जोड़ेगा

एक्सप्रेस-वे से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को आपस में जोड़ा जाएगा। इसे 306 किलोमीटर मध्य प्रदेश, 72 किमी राजस्थान और 35 किमी उप्र में बनाया जाना है। जब तक नए प्रस्ताव पर सहमति नहीं बनती है तब तक इसे होल्ड कर दिया गया है।

चंबल एक्सप्रेस-वे का प्रस्ताव होल्ड कर लिया गया है। नए रूट के संबंध में विचार किया जा रहा है। नए सर्वे रूट में कम से कम भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। -एसके सिंह, एनएचएआई, (आरओ) मप्र