असली-नकली खाद के फेर में उलझा किसान

असली-नकली खाद के फेर में उलझा किसान

जबलपुर। जिले में लगभग डेढ़ लाख रकबे में धान की रोपणी हो चुकी है। ऐसे में धान के पौधे को विकसित करने के लिए उर्वरक (यूरिया) की सबसे ज्यादा जरूरत है। वर्तमान स्थिति ये है कि सोसायटियों में खाद उपलब्ध नहीं है। प्रशासनिक अमले की मानें तो जल्द ही खाद के रैक आने की बात कही जा रही है। धान की फसल पीली पड़ने से बचाने के लिए किसान एकाध बोरी निजी दुकानों से खाद खरीदने विवश हैं। वहीं कई किसान असली-नकली खाद के फेर में उलझकर रह गए हैं।

गौरतलब है कि सोसायटियों की अपेक्षा बाजार से किसानों को खाद खरीदने के लिए डेढ़ गुना से ज्यादा का भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं कई बोरियों में मिलावट होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। हालांकि किसानों ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है। इसकी वजह यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इक्का-दुक्का दुकानें होने से जो खाद मिल रही है, उसे ही खरीदकर काम चला रहे हैं।

एक सप्ताह से भटकाव

भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल ने बताया कि किसानों को सोसायटी से खाद मिलने के नाम पर 1 सप्ताह से भटकाया जा रहा है। जबकि अधिकारियों की मानें तो इस वर्ष अभी तक खाद के रैक आए ही नहीं हैं। वर्तमान में धान की रोपणी को यूरिया की सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसी स्थिति में किसान महंगी खाद खरीदकर काम चला रहे हैं।

परमिट लिए घूम रहे किसान

कुछ सहकारी समितियों की गोदामों में बीते 5 दिनों से यूरिया नहीं है। किसान हाथ में सहकारी समिति मर्यादित द्वारा बनाए गए ‘परमिट’ को हाथ में लिए घूम रहा है। किसानों को उनकी जमीन के रकबे के हिसाब से निर्धारित यूरिया का परमिट दे दिया गया है, लेकिन सोसायटियों में यूरिया नहीं है। समिति प्रबंधक के साथ विक्रेता जल्द ही रेक आने का भरोसा दिला किसान को खाली हाथ लौटा रहे हैं।

अमानक यूरिया बेचने गिरोह सक्रिय

सहकारी समितियों में यूरिया की भारी किल्लत को देखते हुए बाजार में अमानक खाद बेचने वाला गिरोह भी सक्रिय है। कुछ प्राइवेट दुकानों से निर्धारित शासकीय कीमत में यूरिया बेची जा रही है, लेकिन उस खाद की गुणवत्ता का कोई निर्धारण नहीं है। किसानों ने धान की फसलों में उस यूरिया का छिड़काव किया, लेकिन यूरिया खेत में सिर्फ काली पड़ रही है, वह मिट्टी में घुल नहीं रही है।

नहीं हो सकी बात

उर्वरक के रैक आने को लेकर उप संचालक कृषि रवि आम्रवंशी से लगातार संपर्क किया गया। इस मामले में उनसे बात नहीं हो सकी। हालांकि किसानों को 1-2 दिन में रैक उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है।

ऐसे करें असली-नकली की पहचान

  • असली यूरिया के दाने सफेद और चमकदार होते हैं। यह आकार में एक समान व गोल आकार के होते हैं। 
  • असली यूरिया के दाने पानी में पूरी तरह से घुल जाते हैं और इसके घोल को छूने पर ठंडक का अहसास होता है। 
  • वहीं असली यूरिया को तवे पर गर्म करने पर इसके दाने आसानी से पिघल जाते हैं। 
  • नकली यूरिया के दाने तवे पर गर्म करने पर आसानी से पिघलते नहीं है, यदि ऐसा हो तो समझे की यह यूरिया नकली है।
  • असली पोटाश के दाने हमेशा खिलेखि ले होते हैं। इसका मिश्रण सफेद नमक व लाल मिर्च जैसा होता है। 
  • यदि आप असली पोटश के कुछ दानों पर पानी की कुछ बूंदे डाल दें तो वह चिपकेंगे नहीं है।