दिव्यांग शिक्षक भर्ती घोटाले में बने थे 68 उम्मीदवारों के फर्जी सर्टिफिकेट
ग्वालियर। दिव्यांग सार्टिफिकेट लगाकार शिक्षक की नौकरी हासिल करने का फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस मामले में हेल्थ डिपार्टमेंट ने 80 उम्मीदवारों की जांच की, जिसमें से 68 से अधिक के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है। जांच सिविल सर्जन व उनकी टीम द्वारा की गई है। जांच अधिकारियों ने बताया कि यह सर्टिफिकेट गिरोह द्वारा बनाए गए थे और अधिकतर मुरैना के हैं। जाली सार्टिफिकेट के माध्मय से नौकरी पाने वाले इन उम्मीदवारों पर कानूनी कार्रवाई होना लगभग तय है।
जिलों के अलग बोर्ड, सभी सर्टिफिकेट ग्वालियर से बने
विभाग के अनुसार, हर जिले में अलग-अलग दिव्यांग बोर्ड होता है और इस बोर्ड के सदस्य ही आवेदक की दिव्यांगता पर मुहर लगाते हैं। शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद जांच में निकलकर आया कि गिरोह के सदस्यों ने फर्जी दस्तावेजों व साइन से सार्टिफिकेट तो बना दिए, लेकिन कहीं के आवेदक के आगे कहीं का पता लिख दिया। आधार कार्ड एवं सर्टिफिकेट के लिखे पते भी अलग-अलग पाए गए हैं। अधिकतर के सर्टिफिकेट ग्वालियर से बनाए गए , जबकि मुरैना सहित प्रदेश के सभी जिलों में इसके लिए सप्ताह में एक बार बोर्ड के सदस्य बैठते हैं।
क्या है दिव्यांग शिक्षक भर्ती घोटाला : कर्मचारी चयन मंडल ने प्राथमिक शिक्षक के 18 हजार पदों के लिए पात्रता परीक्षा कराई थी। इसमें 1086 पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित थे। 755 पदों पर आवेदकों का चयन हुआ है। इसमें से 450 दिव्यांग शिक्षक सिर्फ मुरैना जिले से चुने गए हैं। इनमें से 80 के प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले हैं। इनमें से 60 स्कूल शिक्षा विभाग और 17 जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ थे। इस मामले में दिव्यांग बोर्ड पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके साथ ही जांच के बाद यह बात निकलकर आ रही है कि कई प्रमाण पत्रों पर ओवरराइटिंग की गई है।
हमें शासन ने कुछ दिव्यांगो के सार्टिफिकेट की जांच करने का जिम्मा दिया गया था, जांच में कई सार्टिफिकेट जाली पाए गए हैं। हमने इसका प्रतिवेदन बनाकर कलेक्टर को भेज दिया है। - डॉ. आरके शर्मा, सिविल सर्जन, ग्वालियर