मौनी अमावस्या पर नर्मदा तटों में लगी आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या पर नर्मदा तटों में लगी आस्था की डुबकी

जबलपुर। मौनी अमावस्या पर शुक्रवार को नर्मदा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। तिथि का पुण्य लाभ प्राप्त करने साधकों में होड़ रही। स्नानार्थियों ने मौन रह कर श्रद्धा की डुबकी लगाई। माघ में यूं तो पूरे महीने स्नान-ध्यान किया जाता है लेकिन अमावस्या पर विशेष स्रान होता है। हिंदू, वैदिक, सनातनी धर्मावलम्बियों में ये अमावस्या खासी महत्वपूर्ण है। इसी दिन मनु ऋषि का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इसके लिए पुरातन मान्यता अनुसार मौन रह कर ईश्वरीय साधना की जाती है। ऐसे में सुबह से मठ-मंदिरों और घरों में अनुष्ठान्न, व्रत और भगवान के श्री विग्रह की परिक्रमा, पीपल-बरगद आदि वट वृक्षों का पूजनअर्चन कर परिक्रमा का दौर जारी रहा। महिलाओं द्वारा पीपल- बरगद और मंदिरों में पूजन-अर्चन तथा अनुष्ठान्न किए गए।

सुबह से पहुंचे लोग

मौनी अमावस्या पर सुबह से ही लोग नर्मदा तटों पर पहुंचने लगे थे। चूंकि शुक्र इस समय अपने मूल त्रिकोण में हैं इसलिए विशेष शुभदायी संयोग माना जा रहा है। इसलिए विशेष रुप से मंदिरों में पूजन-अर्चन आरती, तेल अभिषेक आदि को लेकर उत्साह रहा। माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है, तब तीर्थपति यानि प्रयागराज में देव, ऋषि, किन्नर और अन्य देवतागण तीनों नदियों के संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस अमावस्या पर मौन व्रत धारण कर प्रभु का स्मरण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है, प्राणी की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।

हर तट पर उमड़े लोग

अमावस्या पर नर्मदा के हर तटों पर लोग स्नान को उमड़े। कई लोग तो गंगा सहित अन्य नदियों में पहुंचे। पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्या को सभी पवित्र नदियों और पतितपाविनी मां गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए,ऐसा करने से उसके पूर्व जन्म के पाप दूर होते हैं।

मुनि शब्द से उत्पत्ति

मान्यता है कि मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस व्रत को मौन धारण करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रहकर प्रयाग संगम अथवा पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है इस दिन ब्रह्मा जी ने स्वयंभू मनु को उत्पन्न कर सृष्टि का निर्माण कार्य आरम्भ किया था इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है।