हर अतिक्रमणकारी का कोई न कोई पॉलिटिकल कनेक्शन, कैसे हटाएं
जबलपुर। शहर में अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं,खास तौर पर मुख्य बाजारों के मार्ग स्थाई व अस्थाई दुकानदारों द्वारा लगाई जाने वाली दुकानों के चलते सड़कों पर आवाजाही मुश्किल होती जा रही है। व्यवस्था के अनुसार ऐसे सभी कब्जों को हटाने की जवाबदारी नगर निगम के अन्याक्रान्ति निरोधी दल की होती है। राजनीतिक दबावों और पॉवर पॉलिटिक्स के चलते इनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाईयां बेअसर साबित होती हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि हर अतिक्रमणकारी का कोई न कोई पॉलिटिकल कनेक्शन होता है, उस पर कार्रवाईहोते ही कार्रवाई न करने या जब्त सामान छोड़ने के लिए फोन आ जाता है।
नगर निगम की वर्तमान आयुक्त प्रीति यादव से लेकर पूर्व के निगमायुक्तों ने शहर को अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाने की कोशिश की हैं। यहां तक कि पूर्व में यहां निगमायुक्त पदस्थ रहे वेदप्रकाश ने तो यह नियम तक लागू करवाया था कि पहली बार में 5 हजार दूसरी बार में 10 हजार व तीसरी बार अतिक्रमण करते पाए जाने पर जेल भेजने का प्रावधान तक था।
वहीं शहर में रेड जोन,यलो जोन और ग्रीन जोन बनाए गए थे। यदि यह नियम लागू रहता तो कहीं भी अतिक्रमण की समस्या नजर ही नहीं आती। यह तो मिसाल है बाकी निगमायुक्तों ने भी अपनी- अपनी तरह से अन्याक्रान्ति निरोधी दस्ते को सशक्त बनाकर कार्रवाईयां करवार्इं मगर राजनीतिक या अन्य दबावों के चलते समस्या हल नहीं हुई और दिन ब दिन बड़ी होती जा रही है।
मेन सिटी में यहां ज्यादा समस्या
सुपर मार्केट से चलकर लार्डगंज, फुहारा, कमानिया, कोतवाली, मिलौनीगंज रोड, अंधेरदेव, तुलाराम चौक,ओमती, घंटाघर, गोरखपुर, कटंगा, दीनदयाल चौक, दमोहनाका, अधारताल में कब्जों की संख्या काफी बढ़ चुकी है।
उपनगरीय इलाकों में भी बरसों से परेशानी
गढ़ा क्षेत्र के मुख्य बाजार,पंडा मढ़िया,पुरवा,गढ़ा थाने के सामने,रांझी क्षेत्र में दर्शन तिराहा,बड़ा पत्थर आदि जगह सतपुला मार्केट सहित कई जगह आवाजाही मुश्किल हो गई है। ग्वारीघाट में नर्मदा दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालु दुकानों और मनमानी पार्किंग से हलाकान हैं।
क्या है हल
अन्याक्रान्ति निरोधी दस्ते को कार्रवाई में स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। जुर्माने की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। किसी भी तरह का दबाव देने वालों के नाम सार्वजनिक होने चाहिए।आदतन अतिक्रमणकारियों पर वैधानिक कार्रवाई होनी चाहिए। हाट बाजार या ननि द्वारा बनवाए गए व्यवसाय स्थलों पर दुकानें शिμट होनी चाहिए।
सब पर भारी सिविक सेंटर के कब्जे
नगर निगम मुख्यालय के सामने सिविक सेंटर के प्रवेश द्वार पर बरसों से जूते वालों के कब्जे काबिज हैं। यहां पर आए दिन कार्रवाई तो होती है जिसकी पूर्व सूचना इन्हें मिल जाती है और कुछ देर के लिए कब्जे हटा लिए जाते हैं। टीम के रवाना होते ही दुकानें फिर सज जाती हैं। जिनकी जब्ती हो भी जाती है वे या तो जुर्माना देकर तत्काल दुकान लगा लेते हैं या नेताओं से फोन करवाकर कार्रवाई से बच जाते हैं।