मानव धर्म निभाने पर डकैती के केस में भले ही जेल गए मगर सेवा भाव जारी रहेगा
ग्वालियर। स्वामी विवेकानंद सेवा समिति ने अंजान होने के बाद भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रंजीत सिंह की जान बचाने के लिए मानव धर्म निभाने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महानगर मंत्री हिमांशु श्रोत्रिय का शुक्रवार को विवेकानंद चौराहा ठाटीपुर पर समिति अध्यक्ष, सदस्यों ने फूल मालाएं पहनाईं और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समिति ने मानवता का परिचय देने पर अभाविप महानगर सहमंत्री सुकृत शर्मा का भी सम्मान रखा था, मगर शहर में नहीं होने के कारण समारोह में शरीक नहीं हो सके। इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद सेवा समिति के अध्यक्ष नूतन श्रीवास्तव, महेश सक्सेना, अमन श्रीवास्तव, राकेश साहू, श्रीमती आरती श्रीवास्तव राकेश श्रीवास्तव. अजय पाल, राजू कुशवाह, मनोज दुबे, संतोष परिहार आदि लोग मौजूद थे।
अभाविप सेवा भाव सिखाती है, आगे भी जारी रहेगी
राष्ट्रीय अधिवेशन से लौट रहे थे, तब कार्यकर्ता ने बताया कि ट्रेन में किसी को हार्ट अटैक आया है, तब यह नहीं पता था वह प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। हमने मदद के लिए जीआरपी को इसकी जानकारी दी, उन्होेंने एम्बुलेंस को फोन किया मगर काफी देर एम्बुलेंस के नहीं आने पर व्यक्ति की जान बचाने के लिए स्टेशन के बाहर खड़ी कार का उपयोग अस्पताल ने जाने के लिए किया था, लेकिन रास्ते में ही व्यक्ति की मौत हो गई थी, लेकिन मानव धर्म निभाने पर डकैती का केस दर्ज करने में हैरानी थी। इसके लिए जेल जाना पड़ा मगर सेवा कार्य फिर भी जारी रहेगा। हमें यह नहीं पता था कि वह कार न्यायाधीश की है, मगर कार के चालक से मदद की गुहार लगाई थी अगर उस समय न्यायाधीश होते तो उनसे बात करते। हिमांशु श्रोत्रिय, महानगर मंत्री अभाविप
किसी की जान बचाना सबसे बड़ा धर्म
किसी अंजान व्यक्ति की जान बचाना सबसे बड़ा धर्म है और हम आगे भी सेवा कार्य जारी रखेंगे। उस समय हमें यह नहीं पता था कि जिस व्यक्ति की मदद कर रहे हैं, वह कुलपति हैं। जिस कार से हम कुलपति को अस्पताल लेकर गए थे, उसके बारे में यह नहीं पता था कि कार न्यायाधीश की है। अगर पता होता तो हम न्यायाधीश से निवेदन जरूर करते। भले ही एक व्यक्ति की मदद करने पर जेल जाना पड़ा मगर सेवा भाव में कभी कमी नहीं आएगी, क्योंकि अभाविप अपने सभी कार्यकर्ताओं को सेवा भाव सिखाती है। सुकृत शर्मा,महानगर सहमंत्री अभाविप