आचार संहिता खत्म होने के बाद भी निगम मंडलों में शुरू नहीं हुईं नियुक्तियां

आचार संहिता खत्म होने के बाद भी निगम मंडलों में शुरू नहीं हुईं नियुक्तियां

ग्वालियर। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद भी भाजपा नेताओं की निगम मंडलों में नियुक्तियां शुरू नहीं हो सकी हैं। हालात यह हैं कि पिछली सरकार के साढ़े तीन साल व वर्तमान सरकार के आठ माह बाद भी चुप्पी ने ग्वालियर में जीडीएसाडा सहित अन्य विभागों में नियुक्ति पाने के इच्छुक नेताओं ने आस छोड़ दी है। यही कारण है कि सरकार व संगठन में बैठे अपने राजनीतिक आकाओं से नियुक्तियों को लेकर छाई निराश से मोह भंग देखा जा रहा है।

मध्यप्रदेश की राजनीति में सत्ता परिवर्तन के साथ भाजपा को पुन: कमान मिलने के बाद 2021 के आखिरी में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंषाना, मुन्नालाल गोयल, रघुराज कंषाना सहित अन्य की नियुक्ति कर दी गई थी, इसके बाद सरकार की ओर से अघोषित रूप से भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को देख विधानसभा चुनाव के पहले जबरदस्त नाराजगी का माहौल था।

ऐसे में मार्च 2023 में ग्वालियर अंचल से पूर्व विधायक घनश्याम पिरौनिया को बांस विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाने के बाद वेदप्रकाश शर्मा को मध्यप्रदेश योग आयोग की कमान देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था, जिससे यह माना जाना शुरू हो गया था कि सरकार अपने कार्यकर्ताओं में छाई नाराजगी दूर करने की शुरूआत कर रही है। जीडीएसाडा सहित अन्य स्थानों पर भी जल्द ही नियुक्तियां देखने को मिलेगी, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की समाप्ति हो चुकी है और सरकार ने दोनों आचार संहिता के बाद भी कोई नियुक्ति न कर फिर से चुप्पी साध रखी है। जानकारों की मानें तो सरकार निगम मंडलों में नियुक्ति को लेकर तैयार है, लेकिन बड़े नेताओं में मची खींचतान के चलते हमेशा की तरह मामला अटका हुआ है।

जीडीए-साडा सहित कई विभागों में होना हैं नियुक्तियां

ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) व विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित कई विभागों में होने वाली नियुक्तियों के कई पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं लेकिन संगठन में अपनों को तवज्जो देने के लिए घमासान के कारण नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं और ऐसे में पिछली सरकार के कार्यकाल पूरा होने के बाद लोकसभा का चुनावी समर खत्म होने के बाद भी पहले की तरह अनदेखी जारी है।