एनकाउंटर गलत लेकिन जनता खुश : देशमुख
इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का रविवार को समापन हो गया। तीन दिनों में छह अलग-अलग सत्रों में अलग-अलग विषयों पर विचार मंथन किया गया ।
सर्कुलेशन, टीआरपी और लाइक का फेरा विषय पर संबोधित करते हुए सी वोटर सर्वे के प्रमुख यशवंत देशमुख ने कहा कि जब टेलीविजन नहीं था तब मनोहर कहानियां बहुत लोकप्रिय थीं। इसका कुल सर्कुलेशन अन्य से 10 गुना अधिक था। वह समय भारतीय पत्रकारिता का स्वर्ण युग माना जाता था। टीआरपी का खेल इस देश को बाजार बनाने का खेल है। सास-बहू की कहानी हमारे घर में एंटर की गई। नाटकों के पार्ट1-2 आने लगे, दूरदर्शन में 13 एपिसोड लिए गए और अगर ज्यादा पॉपुलर हुए तो 52 एपिसोड उससे ज्यादा नहीं। यहां न तो सामग्री में हेर-फेर न ही समाचार हेर-फेर है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो इनकाउंटर हुआ वो मेरी नजर में गलत है, क्योंकि इसने न्यायिक प्रक्रिया को चुनौती दी, लेकिन जब हमारी टीम जनता के बीच उसकी राय लेने के लिए गई तो जनता कह रही है बम बम। इससे हमें हकीकत को समझ लेना चाहिए। निश्चित तौर पर कहीं न कहीं न्यायपालिका से या सत्ता में बैठे लोगों से कोई चूक हुई है, जिसके चलते हुए धांय-धांय को ही जनता न्याय मान रही है।
टीआरपी सुधारने ट्रांसपेरेंसी सिस्टम की जरूरत
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष सिरके ने कहा कि टीआरपी की जरूरत किसको है और क्यों है इसका एक ही उत्तर है, धन। बार्क, टीआरपी रिपोर्ट सिस्टम देता है। भारत में 80 करोड़ टीवी यूजर्स हैं लेकिन केवल 21 करोड़ टीआरपी मीटर लगे हुए हैं। भारत में टीवी का बाजार सालाना 30 हजार करोड़ का है। कच्चा डेटा दिया जाना चाहिए, लेकिन बार्क द्वारा ट्रांसपेरेंसी सिस्टम नहीं है। लैंडिंग पेज को खरीदने के लिए सालाना 30 कोर दिए जाते हैं। पारदर्शिता बढ़ाने डीटीएच नेटवर्क स्थापित करने जैसे कदम उठा सकते हैं। यह वास्तविक समय डेटा दिखाता है, जहां कोई आधारित तरीका नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आपने मुझे उस मंच पर बुलाया जहां मैंने 10-12 साल पहले जाना छोड़ दिया। रिपोर्टर खराब को खबर बनाना चाहता है, लेकिन ऑफिस में बैठे लोग अपनी ख्वाहिश को खबर बनाना चाहते हैं। अब प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, हजारों लोगों को तनख्वाह देने पड़ती है इसलिए खबर गढ़ना भी पड़ती है। पहले समाज भोला था तो हर छपी खबर को सच मानता था। इस स्थिति को ठीक करने की स्थिति में कोई नहीं है।
विदेशी मीडिया की नजर में भारत की स्थिति अच्छी
फॉरेन संवाददाता क्लब के चेयरमैन एस. वेंकट नारायण ने कहा कि आज हमारे 500 बिलियन डॉलर से ज्यादा फॉरेन एक्सचेंज हैं। भारत का काफी इम्प्रेशन जम गया है फॉरेन में। सुनामी के वक्त भारत के जहाज सबसे पहले पहुंचे थे। काठमांडू में भूकंप के वक्त भारत का एयरक्राμट सबसे पहले पहुंचा था। अंग्रेजों के आने से पहले 45 ट्रिलिन डॉलर चोरी करके चले गए थे। हमारे देश में युवा लोग ज्यादा हैं और वो शक्ति बनकर आगे लेकर जाएगा। उन्होंने प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता मालिक की स्वतंत्रता है, ऐसा हाल हो गया है भारत का भी। जितना निर्णय लेने का हक नेताओं का है उतना ही हक एक पत्रकार को आलोचना करने का होना चाहिए। बीबीसी को जितने लोग सुनते हैं वो भारत में ज्यादा हैं, इंग्लैंड में कम हैं ऐसा नही है। बीबीसी की भारत के खिलाफ कोई पॉलिसी नहीं रही है। हमें छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार युवराज धीमरे ने कहा कि दूसरे देशों का मीडिया भारत के मीडिया को कैसे देखता है, यह अंतरराष्ट्रीय नीतियों और बहुपक्षीय पहलुओं पर निर्भर करता है।